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नेपाल में हुई बारिश से खतरे में सोहगीबरवा के वन्यजीव

नेपाल में हुई बारिश का असर पूर्वांचल का जिम कार्बेट नेशनल पार्क कहे जाने वाले सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग पर भी पड़ा है। रोहिन गंडक महाव चंदन प्यास झरही सोनिया नाला बघेला आदि नदी-नालों का पानी चारों तरफ फैल कर वन्यजीवों के लिए खतरा बन गया है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 04:47 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 04:51 PM (IST)
निचलौल वन क्षेत्र के डोमा बीट के जंगल में भरा पानी। जागरण

गोरखपुर, विश्वदीपक त्रिपाठी : नेपाल में हुई बारिश का असर पूर्वांचल का जिम कार्बेट नेशनल पार्क कहे जाने वाले सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग पर भी पड़ा है। रोहिन, गंडक, महाव, चंदन, प्यास, झरही ,सोनिया नाला, बघेला आदि नदी-नालों का पानी चारों तरफ फैल कर वन्यजीवों के लिए खतरा बन गया है। जानवर सुरक्षित ठौर के लिए जंगल के बाहर गांव की तरफ बढ़ रहे हैं। 42820.1 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला यह संरक्षित वन्य क्षेत्र चारों तरफ से नदियों से घिरा है। नेपाल से आने वाली यह नदियां जंगल से होकर ही अपने गतंव्य स्थान की तरफ बढ़ती हैं। चार दिनों तक लगातार हुई बारिश के चलते सभी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंट से प्राप्त उपग्रही चित्रों के मुताबिक जिले की 28581 हेक्टेयर भूमि जलमग्न है। इनमें से आधे से अधिक भूमि वन क्षेत्र की है।

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दलदल में फंसकर जा रही वन्यजीवों की जान

16 जून को महाव नाले का तटबंध टूटने से उसका पानी सैकड़ों एकड़ खेत व जंगल में फैल गया। पानी के साथ आई रेत से पूरा क्षेत्र दलदल में तब्दील हो गया है। मधवलिया व उत्तरी चौक के जंगल में महाव के टूटने का असर अब स्पष्ट दिख रहा है। भागते हुए वन्यजीव इन्हीं दलदली भूमि में फंसकर अपनी जान गवां रहे हैं।

बाढ़ का फायदा उठा रहे शिकारी, सक्रिय है अंतराराष्ट्रीय नेटवर्कँ

जंगल में पानी भरने का फायदा शिकारी उठा रहे हैं। जंगल के किनारे शिकारियों द्वारा जाल व क्लच वायर का फंदा लगाया जा रहा है। इसमें हिरण, जंगली सुअर अपनी जान गवां रहे हैं। सोहगीबरवा जंगल, बिहार का बाल्मीकि नगर व नेपाल का रायल चितवन नेशनल पार्क आपस में जुड़े हुए हैं। ऐसे में नेपाल व बिहार के शिकारियों की गैंग भी सोहगीबरवा क्षेत्र में सक्रिय है। दो साल पूर्व बाढ़ के चलते नेपाल के 15 गैंडे बहते हुए भारतीय सीमा क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे, जिन्हें बाद में नेपाल के वनकर्मी वापस उठा ले गए। सोहगीबरवा के शिवपुर रेंज में शिवपुर रेंज में 11 जून को एक तेंदुआ स्कूल में घुस गया था। वनकर्मी उसे पकड़कर इलाज के लिए गोरखपुर चिड़‍ियाघर ले गए, जहां उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक क्लच वायर फंसने के चलते उसकी जान गई। 16 जून को भी कुशीनगर की सीमा से सटे जंगल से निकले एक तेंदुए को वनकर्मियों ने पकड़ा था। उसके पैर में चोट लगी थी।

वनकर्मियों को दिए गए हैं गश्‍त के निर्देश

सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ पुष्प कुमार के ने कहा कि बाढ़ के पानी से वन्यजीवों को नुकसान न हो, इसके लिए वनकर्मियों को नियमित गश्त के निर्देश दिए गए हैं। जंगल में ऊंचे स्थान भी बनाए गए हैं। जहां वन्यजीव सुरक्षित रूप से रह सकें। शिकारियों की गतिविधियों पर भी अंकुश लगाया जाएगा।


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