गोरखपुर में अब तक नहीं हो सकी है कूड़ा निस्तारण की स्थाई व्यवस्था, जानें-क्या है विकल्प Gorakhpur News
नगर निगम प्रशासन ने गीडा क्षेत्र में डंपिंग ग्राउंड के लिए जमीन देख ली है। गीडा प्रशासन को पत्र लिखकर जमीन के मूल्य की जानकारी मांगी गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। शहर का कूड़ा एकला बांध पर फेंकने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। लेकिन नगर निगम प्रशासन अब तक कूड़ा फेंकने की कोई स्थाई व्यवस्था नहीं कर सका है। हालांकि गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) क्षेत्र में नगर निगम प्रशासन ने जमीन फाइनल की है लेकिन अभी यह भी नहीं पता है कि इसके एवज में कितने रुपये देने हैं। यानी एकला बांध पर कूड़ा फेंकने के अलावा नगर निगम के पास फिलहाल कोई विकल्प नहीं है।
प्रतिदिन निकलता है 605 मीट्रिक टन कूड़ा
निगम के मुताबिक शहर से प्रतिदिन 605 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। इनमे गीला-सूखा समेत सभी तरह का कूड़ा-कचरा शामिल है। पहले कूड़ा महेसरा डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचाया जाता था लेकिन विरोध के बाद इसे एकला बांध पर फेंका जाने लगा। नौसढ़ वार्ड के नागरिकों ने विरोध करना शुरू किया तो अफसर बार-बार आश्वासन देकर कूड़ा फेंकने की मोहलत मांगते रहे। 23 जून को नौसढ़ वार्ड के नागरिकों ने पार्षद रीता देवी के नेतृत्व में एकला बांध पर धरना शुरू कर दिया। इससे शहर में कूड़ा का ढेर लगना शुरू हो गया। 25 जून को धरना में महिलाएं भी शामिल हुईं। 26 जून को नगर निगम प्रशासन ने नागरिकों से वार्ता पर चार महीने की मोहलत मांगी थी।
इस कारण लोग हैं परेशान
नागरिकों का आरोप है कि कूड़ा के अलावा मरे हुए जानवर को भी बांध पर फेंक दिया जाता है। इससे चारो तरफ बदबू फैलती है और संक्रामक रोग फैलने का खतरा मंडराता रहता है। कूड़ा में आग लगने के कारण चारो और धुआं फैल जाता है।
गीडा क्षेत्र में जमीन का कार्य जल्द होगा पूरा
अपर नगर आयुक्त अनिल सिंह का कहना है कि नगर निगम प्रशासन ने गीडा क्षेत्र में डंपिंग ग्राउंड के लिए जमीन देख ली है। गीडा प्रशासन को पत्र लिखकर जमीन के मूल्य की जानकारी मांगी गई है। जमीन खरीदने के लिए बजट शासन से मिलना है। जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा।