तो क्या फाइलों के साथ गुनाह भी हो गए जलकर राख Gorakhpur News
सरकारी दफ्तरों में हुए घोटालों व गड़बडिय़ों से जुड़ी फाइलें जलाए जाने के ज्यादातर मामलों में किसी भी दोषी का पकड़ा जाना तो दूर नाम तक सामने नहीं आ पाया।
गोरखपुर, जेएनएन। कलेक्ट्रेट स्थित मनोरंजन कर कार्यालय में लगाई गई आग की घटना ने एक बार फिर बीआरडी मेडिकल कालेज में साल 2018 में एक के बाद एक व उसके पहले के वर्षों के आग लगाने के मामलों को ताजा कर दिया। लेकिन, उन घटनाओं में अब तक कोई कार्रवाई न होने से लोगों के मन में यह धारणा भी बन गई है कि शायद इस मामले का अंजाम भी पहले जैसा ही हो।
धारण बेवजह नहीं
यह धारणा बेवजह नहीं है। सरकारी दफ्तरों में हुए घोटालों व गड़बडिय़ों से जुड़ी फाइलें जलाए जाने के ज्यादातर मामलों में किसी भी दोषी का पकड़ा जाना तो दूर, नाम तक सामने नहीं आ पाया। उच्च स्तरीय कमेटियां बनीं, जांच हुई, संदिग्धों को बुलाकर पूछताछ चली, रिपोर्ट आगे की कार्रवाई के लिए शासन को भेजी गई। लेकिन उसके बाद क्या हुआ किसी को कुछ भी पता नहीं है।
सवाल उठना लाजिमी
सामने जो कुछ दिख रहा है उससे यही साफ है कि न तो इन मामलों में कोई दोषी पकड़ा गया न ही कोई कार्रवाई हुई। अब सवाल उठना लाजमी है कि क्या इन फाइलों के जलने के साथ गुनाह भी जलकर राख हो गए। बहरहाल इस सवाल का जवाब किसी भी जिम्मेदार के पास नहीं है। बीआरडी मेडिकल कालेज में चाहे दवा खरीद के मामले से जुड़ी फाइलें हो, आक्सीजन कांड की फाइलें या फिर अन्य गड़बड़ी। सभी मामलों में नतीजा सिफर रहा।
यह रहे मामले
2018 में आठ जनवरी को बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य कार्यालय में लगायी गयी आग के मामले में अब तक दोषी का पता नहीं चल पाया। आग से प्राचार्य कार्यालय के सामानों के साथ पीए कक्ष की चार आलमारियों में रखे कागजात, अहम दस्तावेज व गोपनीय फाइलें जलकर राख हरे गई थीं। कंप्यूटर सिस्टम भी खाक हो गया जिसमें महत्वपूर्ण डाटा थे। मजिस्ट्रेटी जांच के बाद मेडिकल कालेज के डाक्टरों की कमेटी ने भी जांच की। यह बात सामने आयी कि आग में जले सामानों में आक्सीजन कांड की फाइलों के साथ महत्वपूर्ण दस्तावेज थे। लेकिन दोनों जांचों की रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अफसरों का जवाब था कि रिपोर्ट आगे की कार्रवाई के लिए शासन को भेज दी गई है।
इसी साल छह मार्च को प्राचार्य कार्यालय वाले भवन के दूसरे तल पर भी आग लगायी गयी। इस मामले में भी कार्रवाई तो दूर, दोषियों का पता तक नहीं चला। सिलसिला यहीं नहीं थमा इसी साल 18 अप्रैल को सीटी स्कैन सेंटर में भी आग लगायी गयी लेकिन यहां भी जांच के नतीजों व कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। इसके पूर्व साल 2015 के जून में बीआरडी मेडिकल कालेज स्थित ड्रग स्टोर में आग लगाए जाने की बड़ी घटना हुई। इसमें दवा खरीद से जुड़ी फाइलें जलीं, लेकिन अब तक किसी गुनहगार का नाम सामने नहीं आया।