Move to Jagran APP

कहीं सीओपीडी का मरीज न बना दे धूमपान, तीन करोड़ लोग हैं इससे पीडि़त

क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दुनिया में इसके मरीज 39 करोड़ से अधिक है। देश में यह संख्या करीब तीन करोड़ तक पहुंच गई है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 11:39 AM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 11:58 AM (IST)
कहीं सीओपीडी का मरीज न बना दे धूमपान, तीन करोड़ लोग हैं इससे पीडि़त
कहीं सीओपीडी का मरीज न बना दे धूमपान, तीन करोड़ लोग हैं इससे पीडि़त

गोरखपुर, जेएनएन। सीओपीडी (क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दुनिया में इसके मरीज 39 करोड़ से अधिक है। देश में यह संख्या करीब तीन करोड़ तक पहुंच गई है। इसमें से सत्तर फीसद ऐसे हैं, जिनकी बीमारी बेहद गंभीर है और बमुश्किल अपनी दैनिक क्रिया कर पाते हैं। पूर्वांचल में भी स्थिति गंभीर हैं। गांवों से लेकर शहरों में इसके मरीज बड़ी संख्या में देखे जा रहे हैं।

loksabha election banner

विशेषज्ञों के अनुसार सीओपीडी में हवा श्वांस के साथ अंदर तो जाती है पर बाहर निकलने में परेशानी होती है। इससे फेफड़े धीरे-धीरे फूलने लगते हैं और हवा जाने की जगह भी कम हो जाती है। पहले यह बीमारी अधिक उम्र के लोगों में देखी जाती थी। धूमपान, प्रदूषण, शहरीकरण, जंक फूड के प्रयोग व शारीरिक मेहनत की घटती प्रवृत्ति से 35 वर्ष तक लोग बीमारी की गिरफ्त में आ रहे हैं। धूमपान इसकी मुख्य वजह मानी जा रही है। प्रदूषित वातावरण, चूल्हे से निकलने वाला धुआं व फैक्ट्री का धुआं भी इसे बढ़ा रहा है। 

सिगरेट के पैकेट पर श्वांस रोग की चेतावनी जरूरी

वरिष्ठ सीना रोग विशेषज्ञ डॉ. वीएन अग्रवाल का कहना है कि ज्यादातर मामलों में धूमपान बीमारी की सबसे बड़ी वजह है। अस्सी फीसद से अधिक सीओपीडी का कारण धूमपान है। ऐसे में लोगों को इसके नुकसान के बारे में बताया जाना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि सिगरेट के पैकेटों पर कैंसर के साथ श्वांस के रोगों की चेतावनी भी लिखी जानी चाहिए। सिर्फ दस से पंद्रह फीसद लोगों में धुआं, चूल्हे पर खाना बनाने, लकड़ी जलाने आदि से होता है। आने वाले दस वर्षों में एलपीजी की सुविधा ज्यादातर लोगों पर पहुंचने के बाद इस समस्या में निजात मिलेगी। सीओपीडी सिर्फ फेफड़े की बीमारी नहीं है। इसकी वजह से आस्टियोपोरोसिस, हृदय व मानसिक बीमारी की संभावना भी बढ़ जाती है।

अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतार

सरकारी से लेकर निजी चिकित्सकों के पास सीओपीडी के मरीजों की कतार लंबी होती जा रही है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी व चेस्ट विभाग के डॉ. अश्वनी मिश्रा के अनुसार विभाग की ओपीडी में हर महीने करीब तीन सौ मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इसमें बड़ी तादाद सीओपीडी पीडि़तों की होती है, लेकिन जागरूकता के अभाव में ज्यादातर लोग बीमारी बिगडऩे के बाद पहुंचते हैं। ऐसे में लोगों को चाहिए कि लक्षण पहचान कर समय से इलाज कराएं।

पांचवीं सबसे खतरनाक बीमारी

सीना रोग विशेषज्ञ डॉ. सूरज जायसवाल ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताजा सर्वे का हवाला देते हुए बताया कि दुनियाभर में सीओपीडी पांचवां सबसे घातक रोग बन चुका है। इस पर नियंत्रण न किया गया तो 2030 तक यह तीसरा सबसे बड़ा प्राणघातक रोग बन जाएगा। 50 साल से अधिक के भारतीयों में यह मौत का दूसरा बड़ा कारण है। हालांकि सीओपीडी व धूमपान के बीच पुख्ता संबंध स्थापित किया गया है, लेकिन हाल के अध्ययनों में ऐसे कई अन्य कारक है जो धूमपान न करने वालों को भी उत्प्रेरित करते हैं। दुनिया भर में आधी जनसंख्या बायोमास ईंधन से धुएं के संपर्क में रहती ह,ै जिसका उपयोग भोजन बनाने आदि में किया जाता है। इसीलिए ग्रामीण इलाकों में बीमारी का असर ज्यादा देखा जाता है।

सीओपीडी के कारण

- धूमपान

- लकड़ी, कोयले इत्यादि का धुआं

- कार्यस्थल पर धूल

- प्रदूषण

- व्यायाम न करना

- पोषक आहार की कमी

- फास्ट फूड का अधिक प्रयोग

- आनुवांशिक विकृति

बीमारी के लक्षण

- सांस फूलना

- बार-बार व लगातार खांसी आना

- बलगम निकलना

बीमारी से खतरा

- सांस लेने में मुश्किल

- दिनचर्या प्रभावित

- खून की कमी

- दिल पर प्रभाव

- मांसपेशियां कमजोर होना

- हड्डियों का कमजोर होना

 बीमारी से ऐसे बचें

- धूमपान बंद करें 

- वायु प्रदूषण धुआं से बचें

- संतुलित आहार लें

- नियमित व्यायाम करें

- लक्षण दिखने पर चिकित्सक से मिलें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.