Lockdown: गोरखपुर में दुकानें बंद मगर सड़कों पर दौड़ते रहे वाहन Gorakhpur News
सिनेमा रोड की दक्षिणी पटरी कैंट इलाके में होने की वजह से दुकानें बंद थीं लेकिन कोतवाली इलाके में पडऩे वाली उत्तरी पटरी की दुकानें खुली हुई थीं।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए शहर के तीन थाना क्षेत्रों में लागू की गई बंदी दुकानों के बंद होने तक ही सीमित रही। सड़कों पर काफी भीड़भाड़ थी। वाहन भी सामान्य दिनों की तरह ही सड़क पर दौड़ रहे थे। चौराहों पर पुलिस वाले जरूर मौजूद थे लेकिन धूप और गर्मी से बचने के लिए आसपास की दुकानों के बरामदे में कुर्सी डालकर आराम फरमाते दिखे। वाहनों के सामान्य संचलन के बीच कुछ चौराहों पर बैरियर लगा देने से दिन भर जाम भी लगता रहा।
सड़क का दक्षिणी पटरी बंद, उत्तरी पर खुली रहीं दुकानें
मोहद्दीपुर चौराहे के चारों रास्तों का एक लेन बंद कर दिए जाने की वजह से दिन में 12 बजे के आसपास जाम लगा हुआ था। ड्यूटी पर तैनात होमगार्ड जवान जाम में फंसे वाहनों को निकलवाने का प्रयास करते दिखे। बिग बाजार के पास चार फाटक रोड और कुड़ाघाट की तरफ सवारी ढोने के लिए खड़े टेंपो की वजह से रह-रहकर जाम की स्थिति गंभीर हो जा रही थी। यही हाल गणेश चौराहे का भी था। सिनेमा रोड की दक्षिणी पटरी कैंट इलाके में होने की वजह से दुकानें बंद थीं, लेकिन कोतवाली इलाके में पडऩे वाली उत्तरी पटरी की दुकानें खुली हुई थीं। हालांकि दुकानों में ग्राहक रोज की तरह तो नहीं थे, लेकिन फिर भी उत्तरी पटरी गुलजार थी। विजय चौराहे से लेकर टाउन तिराहे तक की यही स्थिति कैंट इलाके में स्थित पटरी की दुकानें बंद थीं और कोतवाली इलाके में आने वाली पटरी की दुकानों में खूब चहल-पहल थी।
बंदी वाले इलाकों में भी सामान्य दिनों की तरह थी आवाजाही
गोरखनाथ और राजघाट इलाके में भी दुकानों की ही बंदी थी। लोगों की आवाजाही पर कोई रोक नहीं थी। हालांकि बंदी की वजह से सुबह निकलने से कतरा रहे थे लेकिन 10 बजते-बजते वाहनों की सामान्य आवाजाही शुरू होने पर घर से निकलने से कोई भी परहेज नहीं कर रहा था। मुख्य सड़क पर स्थित दुकानें तो पूरी तरह से बंद थीं लेकिन घनी आबादी वाले इलाकों में स्थित दुकानों के छोटे दरवाजे से खरीद-फरोख्त जारी था। गलियों में गश्त कर रहे पुलिस वाले भी नजरें फेर कर आगे बढ़ जा रहे थे। बंदी वाले इलाकों में मुख्य सड़क पर ही जगह-जगह फल व सब्जी के ठेले भी लगे हुए थे। लोग खरीदारी भी कर रहे थे। ठेलों पर जमा भीड़ को शारीरिक दूरी बनाए रखने का भी ख्याल नहीं था। शाम होते-होते सब्जी के ठेलों पर भीड़ कुछ अधिक ही हो गई थी।