शहीद की विधवा ने कहा- सरकार ने वादे पूरे नहीं किए, सेना ने दी नई जिंदगी
उरी हमले में शहीद गणेश शंकर यादव की पत्नी गुडिय़ा ने कहा कि पति की शहादत के समय सरकार ने जाे वायदे किए थे वे पूरे नहीं हुए। सेना ने नई जिंदगी दी वरना भीख मांगने की नौबत आ जाती।
गोरखपुर, वेद प्रकाश गुप्त। देशभक्ति के ज्वार के बीच यह भी सोचना होगा कि हम शहीदों के परिवारों को कितना याद रख पाते हैं। 18 सितंबर 2016 को उरी में शहीद हुए असम राइफल्स के जवान गणेश शंकर यादव का शव दो दिन बाद उनके पैतृक गांव घूरापाली पहुंचने पर उनकी अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा था। मौके पर सामाजिक और राजनैतिक संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ ही प्रदेश सरकार द्वारा शहीद के परिवार को हर स्तर से राहत दिलाने का आश्वासन दिया गया था परंतु समय के साथ सभी को उनके वादे भूल गए।
संतकबीर नगर के मेहदावल तहसील के घूरापाली गांव के रहने वाले शहीद गणेश शंकर यादव की पत्नी गुडिय़ा ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा उसके नाम पर जमीन पट्टा करने के साथ ही गांव में मूर्ति बनवाने का आश्वासन दिया था जो अभी तक पूरा नहीं हो सका। इस समय गोरखपुर के पीपीगंज कस्बे में रह रहीं गुडिय़ा ने जागरण को फोन पर बताया कि उनके पति के पैतृक मकान तक जाने के लिए रास्ते का निर्माण करवाने का वादा भी पूरा नहीं हो पाया है। अपने तीन बच्चों अत्रिक (एक), अमृता (पांच) और प्रतिज्ञा (नौ) को वह अपने पेंशन से पढ़ाने का कार्य कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि पति की शहादत पर उमड़े लोगोंं ने भी अनेक वादे किए परंतु न तो सरकार और न ही किसी ने अपने वादे पूरे किए। उन्होंने बताया कि सेना से उन्हें 38 हजार रुपये की पेंशन मिलती है जो उनके परिवार का एकमात्र सहारा है। गुडिय़ा ने बताया कि वह सिर्फ सेना की शुक्रगुजार हैं सरकार की नहीं। उनका तर्क है कि भावनाओं के गर्म होने के दौरान भले ही शहीद के सम्मान में बहुत कुछ कहा गया पर अब उनकी सुधि लेने के लिए कोई नहीं आता है।