यहां सजायाफ्ता कैदी चला रहा जेल का अस्पताल, यह है वजह Gorakhpur News
गोरखपुर जिला कारागार में 16 बेड का अस्तपाल है जिसमें तीन फार्मासिस्ट की नियुक्ति थी। दो फार्मासिस्ट की जगह दो साल से खाली चल रही थी। एक फार्मासिस्ट जो तैनात था वह सेवानिवृत्त हो गया। तब से बंदियों के इलाज की जिम्मेदारी सजायाफ्ता कैदी के भरोसे है।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर जिला जेल के अस्तपाल की व्यवस्था सजायाफ्ता कैदी के भरोसे चल रही है। इसकी वजह अस्पताल में फार्मासिस्ट का न होना है। सजायाफ्ता कैदी पहले फार्मासिस्ट था। जेल आने के बाद उसकी ड्यूटी अस्पताल में लगा दी गई, तब से वह बीमार बंदियों की देखभाल कर रहा है। जेल में फार्मासिस्ट की नियुक्ति करने के लिए जेल अधिकारियों ने सीएमओ व शासन को पत्र लिखा है।
जिला कारागार में 16 बेड का अस्तपाल है, जिसमें तीन फार्मासिस्ट की नियुक्ति थी। दो फार्मासिस्ट की जगह दो साल से खाली चल रही थी। एक फार्मासिस्ट जो तैनात था वह 31 दिसंबर 2020 को सेवानिवृत्त हो गया। तब से बंदियों के इलाज की जिम्मेदारी सजायाफ्ता कैदी के भरोसे है। जेल आने से पहले बंदी अपना क्लीनिक चला रहा था। लेकिन एक मरीज की मौत के बाद उसे गिरफ्तार किया गया और उसे सजा भी हो चुकी है। सजायाफ्ता कैदी से बंदियों का इलाज कराए जाने से जेल की व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। जेलर प्रेम सागर शुक्ल ने बताया कि जेल के अस्तपाल में फार्मासिस्ट था जो कि कुछ दिन पहले सेवानिवृत्त हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा गया है। फार्मासिस्ट मिलते ही तैनाती की जाएगी।
पैरोल पर छूटे तीन और कैदी पहुंचे जेल
जिला कारागार से पैरोल पर रिहा हुए 26 सजायाफ्ता कैदियों में तीन और वापस आ गए है। अभी भी 20 कैदी लापता है वह न तो अपने घर पर ही है न ही उनका कुछ पता चल रहा है। कोरोना संक्रमण के दौरान जेल प्रशासन ने सात साल से कम की सजा पाने वाले बंदियों को पैरोल पर रहिा किया था। कैदियों को पहले आठ सप्ताह के पैरोल पर रिहा किया गया था। जिसे दो बार बढ़ाया गया। दिसंबर माह में इनकी पैरोल समाप्त कर नोटिस भेज जेल वापस आने को कहा गया। जिसके बाद तीन कैदी ही वापस आए। बाकि लापता थे। रविवार को तीन और कैदी वापस आ गए। अभी भी 20 कैदी लापता है।