कुशीनगर में हरियाली पर चल रही आरी, जिम्मेदार बेखबर
कुशीनगर में पर्यावरण पर संकट बढ़ने लगा है जिले में सड़क व नहरों के किनारे लगातार पेड़ काटे जा रहे हैं लकड़ी माफिया पहुंचा रहे वन विभाग को क्षति जिम्मेदार इसको लेकर कतई गंभीर नहीं है स्थानीय लोग विभाग पर इसको लेकर उंगली उठा रहे हैं।
कुशीनगर : पडरौना तहसील क्षेत्र में हरे वृक्षों की कटाई बेरोकटोक चल रही है। सड़कों और नहरों के किनारे स्थित वृक्षों पर आरी चलाई जा रही है। लकड़ी माफिया वन विभाग को हर साल लाखों रुपये की क्षति पहुंचाते हैं, इसके बावजूद उन पर अंकुश नहीं लग रहा है।
क्षेत्र के विभिन्न नहरों, माइनरों व सड़कों के किनारे मौजूद वृक्षों के जड़ कटान की गवाही दे रहे हैं। रात में पेड़ कटवाकर लकड़ी माफिया ठिकाने लगा देते हैं। आरा मशीन संचालकों से तालमेल स्थापित कर चिरान करा लेते हैं। एनएच 28 बी की पटरी पर पडरौना और शुक्ल भुजौली के बीच दो पेड़ कुछ दिन पहले ही काटे गए हैं, उनकी जड़ मौके पर मौजूद है। पडरौना सेमरिया नहर की पटरी, पडरौना-सेखुई नहर की पटरी, गोमतीनगर-मोतीपुर नहर की पटरी से करीब आधा दर्जन पेड़ काटे जा चुके हैं। नाहर छपरा गांव के समीप झरही नदी के किनारे, पटेरा गांव के समीप कई कीमती पेड़ काटे जा चुके हैं। सेखुई छोटी नहर की पटरी से तीन पेड़ काटे गए हैं। इसी तरह खिरकिया के अगल-बगल झरही नदी के किनारे, खजुरिया, चितहां, नरचोचवा, खेसिया, बिदवलिया आदि गांवों के समीप नहर की पटरी व सड़कों के किनारे से दर्जनों पेड़ काट लिए गए हैं। वन क्षेत्राधिकारी घनश्याम शुक्ल ने बताया कि कुछ पेड़ काटे जाने की शिकायत मिली है। इसकी जांच कराकर लकड़ी काटने वाले चिह्नित किए जाएंगे, रात्रि गस्त बढ़ाई जाएगी। विभाग कटान रोकने के दावे तो करता है लेकिन हरियाली लगातार नष्ट हो रही है, यहां वन संपदा जिस ढंग से नष्ट हो रही है उससे लोग अब विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाने लगे हैं।