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बस्ती में उफनाई सरयू नदी,बढ़ गया बाढ़ का खतरा

2020 में टकटकवा गांव को बचाने के लिए 24 घंटे नदी में परकोपाइन बोल्डरबालू की भरी बोरियां डाली गई थीं तब जाकर गांव बच पाया था। बाद में मौजूदा सरकार ने टकटकवा गांव बचाने के लिए 9 करोड़ की लागत से दो ठोकर बनाने के प्रस्ताव की स्वीकृति दी लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते यह कार्य 15 जून तक पूरा नहीं हो पाया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 06:30 AM (IST)
बस्ती में उफनाई सरयू नदी,बढ़ गया बाढ़ का खतरा
बस्ती में उफनाई सरयू नदी,बढ़ गया बाढ़ का खतरा

बस्ती: सरयू नदी का कहर प्राय: अगस्त और सितंबर में देखने को मिलता था, वहीं इस वर्ष जून में ही नदी अपने पूरे उफान पर है। नदी चेतावनी बिदु को पार कर प्रवाहित हो रही है, जिससे दुबौलिया क्षेत्र में कटरिया चांदपुर तटबंध पर अनुसूचित बस्ती और गौरा सैफाबाद तटबंध पर टकटकवा गांव के लोगों की नींद उड़ चुकी है।

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2020 में टकटकवा गांव को बचाने के लिए 24 घंटे नदी में परकोपाइन, बोल्डर,बालू की भरी बोरियां डाली गई थीं, तब जाकर गांव बच पाया था। बाद में मौजूदा सरकार ने टकटकवा गांव बचाने के लिए 9 करोड़ की लागत से दो ठोकर बनाने के प्रस्ताव की स्वीकृति दी, लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते यह कार्य 15 जून तक पूरा नहीं हो पाया। परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अब तेजी दिखाई जा रही है। शुक्रवार को ठोकर बनाने के लिए पोकलैंड, जेसीबी आदि मशीनों को लगा कर काम कराया जा रहा था।

टकटकवा गांव निवासी रामजगत,शान्ती देवी,बिक्रम, आशुतोष, जुल्ला, रामसागर, भगवान दीन, गोमती, सुरेश, पुजारी, प्रहलाद का कहना है कि यदि यही तेजी एक महीने पहले दिखाई गई होती तो बाढ़ को लेकर खतरा नहीं सताता। टकटकवा गांव में 20 परिवार निवास करते हैं, जिनमें नौ परिवारों के पास तटबंध के दूसरी तरफ जमीन ही नहीं है। लोग अभी से ही वह खाद्यान्न, जरूरी सामान अपने रिश्तेदारों के घर भेजने लगे हैं। गांव की शांति देवी ने बताया कि पिछले वर्ष जब कटान हो रहा था तभी घर खाली करने लगे थे,लेकिन पिछले वर्ष घर तो बच गया था, लेकिन इस बार घर बचने की गुंजाइश कम ही है। गौरा सैफाबाद तटबंध के अवर अभियंता विजय कुमार ने बताया किसानों द्वारा जमीन नहीं मिल पाने के कारण काम देरी से शुरू हुआ है। आधुनिक मशीनों से कार्य को पूरा करने की कोशिश की जा रही है।


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