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गोरखपुर में खूब बिके गोबर से बने उत्पाद, अब नहीं मिल पा रहीं लक्ष्‍मी गणेश की प्रतिमाएं Gorakhpur News

गोरखपुर एवं देवरिया मिलाकर सेवा भारती से जुड़ी महिलाओं ने लक्ष्मी-गणेश की करीब 10 हजार मूर्तियां तैयार की थी। पर काफी आर्डर आ गए जिससे मूर्तियों की कमी हो गई। सहकार भारती की ओर से भी पांच हजार से अधिक मूर्तियां बनाई गई थीं।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 14 Nov 2020 06:10 AM (IST)Updated: Sat, 14 Nov 2020 06:52 PM (IST)
गोरखपुर में खूब बिके गोबर से बने उत्पाद, अब नहीं मिल पा रहीं लक्ष्‍मी गणेश की प्रतिमाएं Gorakhpur News
गोबर से बनीी लक्ष्‍मी गणेश की प्रतिमाएं एवं अन्‍य उत्‍पाद।

 गोरखपुर, जेएनएन। इस साल दीपावली में मुख्यमंत्री की ओर से स्थानीय शिल्पकारों की ओर से तैयार उत्पादों का प्रयोग करने की अपील किए जाने का खूब असर दिखा। गोरखपुर में गोबर से बने उत्पादों की कमी हो गई। इसकी मांग अभी भी की जा रही है लेकिन उत्पाद बनाने में लगी संस्थाओं के पास अब सामान बचे नहीं हैं। सेवा भारती एवं सहकार भारती की ओर से इस साल देसी गाय के गोबर से उत्पाद बनाने की पहल की गई थी। सेवा भारती ने बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण दिया और करीब 500 से अधिक महिलाओं को इस कार्य से जोड़ा।

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महिलाओं ने बनाईं थीं 10 हजार प्रतिमाएं

गोरखपुर एवं देवरिया मिलाकर सेवा भारती से जुड़ी महिलाओं ने लक्ष्मी-गणेश की करीब  10 हजार मूर्तियां तैयार की थी। पर, काफी आर्डर आ गए, जिससे मूर्तियों की कमी हो गई। सहकार भारती की ओर से भी पांच हजार से अधिक मूर्तियां बनाई गई थीं। इसी तरह से जिले में 50 हजार से अधिक गोबर के दीये बनाए गए थे, जिनकी खूब मांग रही। दरवाजे पर लगाने के लिए गोबर का स्वास्तिक भी बनाया गया था, उसे भी लोगों ने हाथों-हाथ लिया।

दूसरे जिलों से भी आए आर्डर

सेवा भारती से जुड़ीं गोरखपुर की प्रियंका कुशवाहा बताती हैं कि अपेक्षा से कहीं अधिक मांग रही। कुछ ही दिनों में मूर्तियां, स्वास्तिक, दीये समाप्त हो गए। बलिया, अमेठी, सोनभद्र व अन्य जिलों से भी मांग आयी थी। सहकार भारती की पदाधिकारी मीनाक्षी राय ने बताया कि गोबर के उत्पादों की खूब मांग रही। लोगों ने जमकर खरीदारी की है। दो दिनों तक उद्योग भवन में लगी प्रदर्शनी में आए लोगों ने बढ़-चढ़कर खरीदारी की।

देसी झालर की भी रहीं मांग

प्रियंका कुशवाहा की संस्था ने देसी झालर भी बनाया है। 11.5 मीटर से 45 मीटर तक के करीब 800 झालर महिलाओं ने बनाए थे लेकिन सब बिक गए। अब भी आर्डर आ रहे हैं लेकिन मना करना पड़ रहा है। बता दें, कि सेवा भारती के अतिरिक्‍त स्‍थानीय स्‍तर पर माटी के अन्‍य कलाकारों ने भी लक्ष्‍मी गणेश की प्रतिमाओं को तैयार किया हुआ था। वहां पर भी खूब बिक्री हुई है। स्‍थानीय लोगों के पास गोबर से बनीं लक्ष्‍मी गणेश की प्रतिमाओं के बारे में बातचीत की गई तो उन्‍होंने भी बताया कि उनके वहां भी खूब बिक्री हुई है। किसी के पास कुछ प्रतिमाएं बचीं हैं जो अपने लोगों के लिए रखी हुई हैं।  


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