लोक कल्याण के लिए संत करते हैं राजनीति का विषपान
ब्रह्मालीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि समारोह
जागरण संवाददाता, गोरखपुर :
ब्रह्मालीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि समारोह के क्रम में गोरखनाथ मंदिर में चल रहे श्रीराम कथा ज्ञानयज्ञ के दूसरे दिन रविवार को कथा व्यास डॉ. रामकमल दास वेदांती ने कथा के क्रम को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि अगस्त ऋषि द्वारा श्रीराम कथा का श्रवण भगवान शंकर द्वारा किया जा रहा था और सती द्वारा कथा को ध्यान से न सुनने का परिणाम हुआ कि सती के मन में भगवान के प्रति संशय उत्पन्न हुआ। यहीं से कथा के केंद्र में भगवान शिव और पार्वती आ जाते हैं।
कथा को विस्तार देते हुए कथाव्यास ने पारिवारिक संबंधों और पति-पत्नी केबीच परस्पर विश्वास के महत्व को रेखांकित किया। कहा कि परस्पर विश्वास पर ही पारिवारिक संबंधों पर ही विश्वास का महल टिका रहता है। अविश्वास परिवार तोड़ता है। संबंधों की डोर को कमजोर करता है। कथाव्यास ने बताया कि भगवान अहंकारियों के अहंकार को खाते हैं तथा भक्तों के भाव का भोग लगाते हैं। भगवान भक्तों के लिए, संतों के लिए धरती पर अवतरित होते है, यहां तक कि वे विषपान भी करते है। संत भी लोक कल्याण और लोकमंगल के लिए राजनीति का विषपान करते हैं। गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवेद्यनाथ और अब योगी आदित्यनाथ ने भी लोक मंगल एवं लोक कल्याण के लिए ही राजनीति की चादर ओढ़ी है। रविवार की कथा भगवान शिव और पार्वती के विवाह के साथ विश्राम लेती है। रविवार की कथा के मुख्य यजमान ओम प्रकाश कर्मचंदानी, अजय सिंह, अवधेश सिंह, सीताराम जायसवाल, जवाहर कसौधन, महेश पोद्दार आदि रहे। कथा व्यास के साथ संगीतमय श्रीरामकथा के लिए हरमोनियन पर दीनदयाल तिवारी, बैंजो पर दिलीप कुमार, बांसुरी पर रमाशकर मिश्र, पैड पर शेखर, तबला पर रामरंजन मिश्र ने संगत किया।