रामगढ़ ताल में जलकुंभी से नौकायन पर असर, अब विशेषज्ञ फर्म करेगी सफाई Gorakhpur News
आरकेबीके के पिछले हिस्से में दलदल होने के कारण जलकुंभी पूरी तरह साफ भी नहीं हो पाती है। जलनिगम ने मशीन के माध्यम से जलकुंभी को निकालने का निर्णय लिया था लेकिन इसका बहुत ज्यादा फायदा नहीं दिखता है। हाल के दिनों में लगातार जलकुंभी बढ़ती जा रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। रामगढ़ताल की खूबसूरती पर ग्रहण बनने वाली जलकुंभी को अब विशेष फर्म खत्म करेगी। ताल में बार-बार जलकुंभी फैलने से परेशान गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) प्रशासन ने जलकुंभी से ताल को निजात दिलाने के लिए टेंडर निकालने का निर्णय लिया है। अफसरों को उम्मीद है कि इससे विशेषज्ञ फर्म आएंगी और जलकुंभी खत्म करने के लिए काम करेंगी।
17 सौ एकड़ में फैला है ताल
रामगढ़ताल 17 सौ एकड़ में फैला हुआ है। चिडिय़ाघर के पीछे से पैडलेगंज, आरकेबीके के पीछे तक ताल फैला हुआ है। ताल में वर्षों से जलकुंभी जमा है। आरकेबीके के पिछले हिस्से में दलदल होने के कारण जलकुंभी पूरी तरह साफ भी नहीं हो पाती है। जलनिगम ने मशीन के माध्यम से जलकुंभी को निकालने का निर्णय लिया था लेकिन इसका बहुत ज्यादा फायदा नहीं दिखता है। हाल के दिनों में लगातार जलकुंभी बढ़ती जा रही है।
हवा चलने पर ज्यादा दिक्कत
जीडीए के अफसरों का कहना है कि हवा चलने के कारण ताल में जलकुंभी तेजी से फैलती है। ज्यादा दूरी तक फैली जलकुंभी को निकालने में भी दिक्कत होती है।
बोटिंग पर पड़ा असर
रामगढ़ताल में जलकुंभी फैलने के कारण बोटिंग पर असर पड़ा। दोपहर तक बोटिंग के लिए पहुंचे सैलानियों को निराशा मिली। दोपहर बाद इक्का-दुक्का बोट ही चल सकीं। होली के अवकाश के बाद नौकायन पर भारी संख्या में सैलानी पहुंचे। हर तरफ फैली जलकुंभी को देख सभी निराश हो गए। रामगढ़ताल से जलकुंभी निकालने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन अब तक इससे निजात नहीं मिल सकी है।
गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आशीष कुमार का कहना है कि जलकुंभी की सफाई का काम अनुभवी फर्म को देने का निर्णय लिया गया है। जल्द ही टेंडर निकाला जाएगा।