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तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत किया गया भारतीय इतिहास

बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डा. सतीश चंद्र द्विवेदी ने हमारे इतिहास को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है। जिसको सकारात्मक रूप देने के लिये नव इतिहास लेखन परंपरा को विशेष रूप से स्वीकार करने की आवश्यकता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Mar 2021 10:50 PM (IST)Updated: Sat, 20 Mar 2021 10:50 PM (IST)
तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत किया गया भारतीय इतिहास
तोड़ मरोड़कर प्रस्तुत किया गया भारतीय इतिहास

सिद्धार्थनगर : बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डा. सतीश चंद्र द्विवेदी ने हमारे इतिहास को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है। जिसको सकारात्मक रूप देने के लिये नव इतिहास लेखन परंपरा को विशेष रूप से स्वीकार करने की आवश्यकता है। भारत पहले भी विश्व गुरु था और आज भी है। वह इसी तरह विश्व में अपना परचम फहराता रहे, इसके लिए सभी को अपने कर्तव्य का निवर्हन करना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी दुनिया में कही भी जाते है, वह अपने साथ गीता की प्रति अपने साथ रखते हैं। यह धार्मिक ग्रंथ संपूर्ण दर्शन शास्त्र को बताता है। वह सभी को संदेश देने का काम करते हैं।

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वह शनिवार को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में भारतीय इतिहास लेखन परंपरा, नवीन परिप्रेक्ष्य विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे थे। कार्यक्रम का वर्चुअल शुभारंभ केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने किया। बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि छात्रों को भारत के संपूर्ण इतिहास की जानकारी होनी चाहिए। कुलपति महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र के प्रोफेसर रजनीश शुक्ल ने कहा इस परंपरा को बढ़ाने के लिये नवलेखन परंपरा को आगे बढ़ाना होगा। यहां का इतिहास चिरयुवा है, यह निर्मित होता है, ध्रुव, राम, समुद्रगुप्त, ललितादित्य, कृष्ण आदि से ग्रीक भाषा मे इतिहास का आशय बुनना होता है। इतिहास में छेड़छाड़ किया गया है। इतिहास कान का सुना नहीं बल्कि आंखों से देखा होना चाहिए। संगठन सचिव भारतीय इतिहास संकलन योजना डा. बालमुकुंद पांडेय ने कहा जिस इतिहास में भारत नही उसे पढ़ना और पढ़ाना क्या। इतिहास संकलन योजना का मुख्य उद्देश्य नव इतिहास लेखन परंपरा के अनुरूप विकसित करना है। ध्रुव, प्रहलाद, बुद्ध, अहिल्या, झांसी की रानी से हमारी पहचान है। कुलपति नव नालंदा महाबिहार प्रोफेसर वैद्यनाथ लाभ ने कहा यदि हम गहराई के स्तर पर जाने का प्रयास करे, तो हमें सब कुछ भारत मे ही प्राप्त होता है। अ²श्य सरस्वती का उदभव भारत में ही हुआ, इसकी जानकारी काफी प्रयास के बाद हुआ है। यही इतिहास है। कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने कहा यहां का इतिहास राजाओं पर ही नहीं आधारित है। राज्य बनते रहे और बिगड़ते रहे। लेकिन राष्ट्र अक्षुण्य रहा। लोगों को एक ही राज याद है वह है रामराज्य। अपनी संस्कृति को देखा है और उसे बचाने का काम किया है। इतिहास की ज्ञान अर्जित करने से आत्मबल और राष्ट्रीयता की भावना जागृत होती है। कार्यकारी अध्यक्ष भारतीय इतिहास संकलन प्रोफेसर देवी प्रसाद सिंह ने भी अपने विचार रखे। संचालन डा. ओमजी उपाध्याय ने किया। कुलपति की धर्मपत्नी आशा दुबे, कुल सचिव राकेश कुमार, डा. सच्चिदानंद चौबे, डा. नीता यादव, रेनू त्रिपाठी, डा. वंदना गुप्ता, डा. जयसिंह यादव, डा. यशवंत यादव, सहायक कुलसचिव शेख अंजुम, दीनानाथ यादव, सत्यम दीक्षित, अतुल कुमार, रोहित, अजय कुमार आदि मौजूद रहे।


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