UP Panchayat Election: गोरखपुर में बदल जाएगा 25 फीसद से अधिक गांवों का आरक्षण- अब ऐसे बनेगी लिस्ट
हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद कई गांवों के ऐसे दावेदार जो मैदान से बाहर हो गए थे उनकी सक्रियता गांव में बढ़ गई है। मजबूत दावेदारों के मैदान से बाहर होने के कारण राहत की सांस ले रहे लोगों की चिंता बढ़ गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। एक जनहित याचिका ने प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर बनाई गई आरक्षण की व्यवस्था में बदलाव कर दिया है। नई व्यवस्था में आरक्षण के लिए आधार वर्ष 2015 को माना जा रहा है। नई व्यवस्था के कारण गोरखपुर जिले में 25 फीसद से अधिक गांव, क्षेत्र पंचायत वार्ड, जिला पंचायत वार्ड, ब्लाक प्रमुख के पदों पर आरक्षण बदल सकता है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो चुके कई बड़े गांव अब अनारक्षित या अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो सकते हैं। जिले स्तर पर शासन से विस्तृत दिशा-निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है। 27 मार्च तक हर हाल में जिलों को आरक्षण आवंटन पूरा कर लेना होगा।
हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद कई गांवों के ऐसे दावेदार जो आरक्षण व्यवस्था अनुकूल न होने के कारण मैदान से बाहर हो गए थे, उनकी सक्रियता गांव में बढ़ गई है। मजबूत दावेदारों के मैदान से बाहर होने के कारण राहत की सांस ले रहे लोगों की चिंता बढ़ गई है। परफार्मेंस ग्रांट वाले कई गांवों में भी आरक्षण में बदलाव की संभावना है।
समझिए, आधार वर्ष बदलने से क्या अंतर आएगा
दो मार्च को जो आरक्षण आवंटन की अनंतिम सूची प्रकाशित की गई थी, उसमें आरक्षण वर्ष 1995 को माना गया था। आधार वर्ष माने जाने से आरक्षण की चक्रानुक्रम की व्यवस्था वहीं से शुरू मानी गई। उसी साल से जोड़ा गया कि कौन से गांव कभी ओबीसी नहीं रहे थे और कौन से कभी एससी नहीं रहे थे। पांच चुनावों में हर ब्लाक में कम ही गांव मिले जो कभी किसी वर्ग विशेष के लिए आरक्षित नहीं थे। इसे कुछ ऐसे समझ सकते हैं कि यदि किसी ब्लाक में एससी का कोटा 15 गांव का है और 1995 से अब तक उस ब्लाक में 20 ऐसे गांव थे जो कभी एससी नहीं हुए थे तो ऊपर से अधिक आबादी वाले 15 गांवों को एससी के लिए आरक्षित कर दिया गया।
अब ऐसे होगा आरक्षण
यदि किसी ब्लाक में ओबीसी का कोटा 18 गांव का है और 20 गांव कभी ओबीसी नहीं हुए थे, तो वहां भी आबादी के अनुसार ऊपर से 18 गांवों को इस वर्ग के लिए आरक्षित किया गया था। पर, 2015 को आधार वर्ष मानने पर यह देखा जाएगा कि ब्लाक में ऐसे कौन से गांव हैं, जो उस वर्ष के चुनाव में (2015 में) एससी या ओबीसी के लिए आरक्षित नहीं थे। अब केवल एक चुनाव को आधार बनाने पर हर ब्लाक में ऐसे गांवों की संख्या बढ़ जाएगी, जहां पिछली बार एससी या ओबीसी का आरक्षण नहीं था। ऐसे में एससी के लिए 15 गांव के कोटे वाले ब्लाक में यदि ऐसे 50 गांव निकल गए तो उनमें से आबादी के क्रम में ऊपर से 15 गांवों को आरक्षित कर दिया जाएगा। इससे पिछली बार आरक्षित कई गांव इससे मुक्त हो जाएंगे। यही हाल ओबीसी के लिए भी होगा, उससे भी कई गांव बाहर आकर अनारक्षित या दूसरे वर्ग के लिए आरक्षित हो सकते हैं।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद आधार वर्ष बदलेगा तो निश्चित रूप से प्रधान से लेकर हर पद के आरक्षण में बदलाव आएगा। शासन की ओर से इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश का इंतजार है। शासनादेश के मुताबिक समय से नई सूची तैयार की जाएगी। - हिमांशु शेखर ठाकुर, जिला पंचायत राज अधिकारी।
दो मार्च को जारी सूची में यह है स्थिति
ग्राम प्रधान के कुल पद : 1294
अनारक्षित : 437 ग्राम पंचायतें
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित : 287 ग्राम पंचायतें
पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित : 356 ग्राम पंचायतें
महिला के लिए आरक्षित : 208 ग्राम पंचायतें
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित : छह ग्राम पंचायतें
जिला पंचायत सदस्य के कुल वार्ड : 68
अनारक्षित : 23
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित : 16
पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित : 18
महिला के लिए आरक्षित : 11
ब्लाक प्रमुख के कुल पद : 20
अनारक्षित : 07
पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित : 06
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित : 04
महिला के लिए आरक्षित : 03
क्षेत्र पंचायत सदस्य के कुल वार्ड : 1700
अनारक्षित : 572
महिला के लिए आरक्षित : 272
पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित : 449
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित : 405
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित : 02
ग्राम पंचायत सदस्य की कुल संख्या : 16372
अनारक्षित : 6193
महिला के लिए आरक्षित : 2502
पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित : 3640
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित : 3996
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित : 41