Move to Jagran APP

भैया दूज व गोधन पूजा: भाई की दीर्घायु के लिए बहनों ने की मंगल कामना Gorakhpur News

सुबह घर की साफ-सफाई के बाद दरवाजे पर गोबर से गोधन बनाया गया। गोबर का एक वर्ग बनाकर उसके बीच में गोधन की एक बड़ी मूर्ति बनाई गई। साथ में यम व उनकी पत्नी गोवर्धन पर्वत गाय सांप-बिच्छू आदि बनाए गए।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 05:10 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 05:10 PM (IST)
भैया दूज व गोधन पूजा: भाई की दीर्घायु के लिए बहनों ने की मंगल कामना Gorakhpur News
त्‍योहार पर गोधन की पूजा करतीं बहनें।

 गोरखपुर, जेएनएन। बहन-भाइयों का पवित्र त्योहार भैया दूज व समृद्धि का त्योहार गोधन (गोवर्धन) पूजा एक साथ सोमवार को परंपरागत रूप से आस्था व श्रद्धा के साथ मनाई गई। बहनों ने भाइयों की दीर्घायु के लिए पहले उन्हें श्राप दिया, फिर श्राप मुक्त कर मंगल कामना की। गोबर से बने गोधन को कूटा और प्रसाद स्वरूप गोधन के गोले बांटे गए।

loksabha election banner

बहनों को मिला उपहार

सुबह घर की साफ-सफाई के बाद दरवाजे पर गोबर से गोधन बनाया गया। गोबर का एक वर्ग बनाकर उसके बीच में गोधन की एक बड़ी मूर्ति बनाई गई। साथ में यम व उनकी पत्नी, गोवर्धन पर्वत, गाय, सांप-बिच्छू आदि बनाए गए। बच्चों ने भटकोइया, भड़भाड़, कुकुरमुत्ता, बेर के कांटे सहित तमाम कांट-कूस इकट्टा किए। घर में भाइयों के लिए अमरपिठवा बना। साथ ही खीर-पूड़ी बनाई गई। भाई, बहनों के घर तो कुछ बहनें भाइयों के घर पहुंची। बहनों ने भाइयों को तिलक लगाया। मिठाई खिलाई और उनके संकट मुक्त जीवन की कामना की। भाइयों ने बहनों को उपहार भेंट किए।

गोधन कूटने के बाद गोबर की गोलियां बनाकर प्रसाद स्वरूप बांटा

तीन-चार घरों के बीच में एक जगह गोधन बनाया गया था। बिना कुछ खाये-पीये बहनें सुबह लगभग 11 बजे गोधन के पास पहुंचीं और कांट-कूस तोड़-तोड़ कर भाइयों को श्राप देने लगीं। इसके बाद गोबर से बने गोधन के सीने पर ईंट रखकर मूसल टिकाकर वर्ग के इस पार से उस पार कूदीं। गोधन कूटने के बाद उसके सिर के गोबर की कई गोलियां बनाकर सभी को प्रसाद स्वरूप बांटा। ये गोलियां बखार (जहां अन्न रखा जाता है) में रखी जाती हैं। मान्यता है कि इन गोलियों को रखने से वर्ष भर अन्न की कमी नहीं होती है। गोधन कूटने के दौरान मंगल गीत गाए गए। पर्व के माहात्म्य से संबंधित कथाएं सुनी गईं। इस अवसर बच्चों की किताब-कापी, कलम-दवात की भी पूजा की गई। लाई-गट्टा व चीनी से बनी मिठाई चढ़ाई गई तथा प्रसाद स्वरूप उसे बांटा गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.