Jagran Vimarsh : वैकल्पिक आयकर व्यवस्था से दूर होगी मंदी, जानें-क्या है विशेषता Gorakhpur News
विकल्पवाली आयकर व्यवस्था का पहला लाभ टैक्स रेट में कमी दूसरा आसान कर प्रणाली तीसरा करदाताओं के पास अधिक डिस्पोजबल इनकम होगी।
गोरखपुर, जेएनएन। बाजार को मंदी से उबारने के लिए वैकल्पिक आयकर व्यवस्था एक बेहतर माध्यम है। इससे लोगों की खर्च करने की क्षमता में वृद्धि होगी। बाजार की मंदी दूर होने के बाद ही रोजगार का सृजन हो सकेगा। आम आदमी खुशहाल होगा। ऐसा पहली बार है, जब सरकार ने आयकर में विकल्प चुनने का अवसर दिया है।
यह बातें चार्टर्ड एकाउटेंट हिमांशु टिबड़ेवाल ने कहीं। वह दैनिक जागरण कार्यालय में अकादमिक बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में है, ऐसा लोगों की खर्च करने की क्षमता में कमी के कारण हुआ है। बाजार में उत्पादों की मांग घटी है। इसके चलते कर संग्रह घट गया है। सरकार की नीतियां प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि बाजार में पूंजी बढ़ाने के लिए वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट के बाद भी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। बैंकों का पूंजीकरण किया गया ताकि अधिक से अधिक लोन दे सकें। बाजार में पूंजी का निवेश बढ़े।
कर प्रणाली को सरल करना सरकार का उद्देश्य
कार्पोरेट टैक्स में कटौती से कंपनियों की क्षमता बढ़ेगी। 2020-21 के लिए वित्तमंत्री द्वारा पेश बजट में मध्यम वर्ग व व्यक्तिगत करदाता के लिए वैकल्पिक आयकर की घोषणा की गई है। इस व्यवस्था के तहत सरकार का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल करना है। इसमें कर प्रतिशत भी घटाया गया है। स्लैब रेट को सरल किया गया है। आयकर कानून में करीब 100 तरह से टैक्स छूट का प्राविधान है। इस बजट में करीब 70 तरह की छूट को समाप्त किया गया है। नतीजतन अब आयकरदाता को पेंचीदगियों में न फंसकर स्लैब रेट के अनुरूप आय कर का भुगतान करना होगा। आयकर दाताओं के लिए सरल फार्म की भी व्यवस्था की गई है।
ये है पुरानी और नई व्यवस्था में अंतर
उन्होंने कहा कि पुरानी कर व्यवस्था में ढाई लाख रुपये तक आय करमुक्त थी। ढाई से पांच लाख तक पांच प्रतिशत टैक्स था, लेकिन पांच लाख तक की आय पर भी कोई टैक्स नहीं देना होता था। उसके बाद 10 लाख तक आय पर 20 प्रतिशत टैक्स था। उससे अधिक आय पर 30 प्रतिशत कर चुकाना होता था। सेक्शन 80 की छूट मिलती थी। नई कर व्यवस्था में ढाई लाख तक कोई टैक्स नहीं है। ढाई से पांच लाख तक पांच प्रतिशत और यदि कुल आय पांच लाख रुपये है, तो कोई टैक्स नहीं देना है। पांच लाख से साढ़े सात लाख तक 10 प्रतिशत, साढ़े सात लाख से 10 लाख तक 15 प्रतिशत, 10 लाख से 12.5 लाख तक 20 व 12.5 लाख से 15 लाख तक 25 प्रतिशत व 15 लाख से अधिक पर 30 प्रतिशत टैक्स देना होगा। ऐसे में विकल्प वाली आयकर व्यवस्था हर किसी के लिए फायदेमंद है।
विकल्प वाली आयकर व्यवस्था का लाभ
विकल्पवाली आयकर व्यवस्था का पहला लाभ टैक्स रेट में कमी, दूसरा आसान कर प्रणाली, तीसरा करदाताओं के पास अधिक डिस्पोजबल इनकम होगी। इससे बाजार में मांग बढ़ेगी और उसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा।
जानिए क्या है वैकल्पिक आयकर व्यवस्था
पुरानी व्यवस्था के साथ एक नई टैक्स स्लैब की व्यवस्था को वैकल्पिक का दर्जा दिया गया है। उपभोक्ता को जिसमें सुविधा हो वह उस व्यवस्था के तहत आयकर जमा कर सकता है। जिनकी सेविंग डेढ़ लाख है और हाउसिंग लोन ले रखा है, उनके लिए पुरानी व्यवस्था ही ठीक है।
ये है खामी
यदि किसी ने धारा 80 की छूट के अंतर्गत कोई निवेश जैसे, पीपीएफ, एलआइसी आदि में निवेश किया है, तो उसे आगे भी जारी रखना पड़ेगा। लोगों में बचत करने की अभिरुचि घटेगी।