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Corona virus : गोरखनाथ मंदिर में कोरोना से बचाव के लिए राष्ट्र रक्षा यज्ञ, साधु-संतों ने लिया हिस्‍सा Gorakhpur News

बुधवार को गोरखनाथ मंदिर में राष्ट्र रक्षा यज्ञ संपन्‍न किया गया। 51 वेदपाठी छात्रों ने साधु-संतों के साथ मंत्रों का सस्वर पाठ कर इस महामारी से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 03:16 PM (IST)Updated: Thu, 19 Mar 2020 07:34 AM (IST)
Corona virus : गोरखनाथ मंदिर में कोरोना से बचाव के लिए राष्ट्र रक्षा यज्ञ, साधु-संतों ने लिया हिस्‍सा Gorakhpur News
Corona virus : गोरखनाथ मंदिर में कोरोना से बचाव के लिए राष्ट्र रक्षा यज्ञ, साधु-संतों ने लिया हिस्‍सा Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना से बचाव के लिए उठाए जा रहे एहतियाती कदमों के बीच अब यज्ञ भी शुरू हो गया है। कोरोना से मुक्ति के लिए बुधवार को गोरखनाथ मंदिर की यज्ञशाला में राष्ट्र रक्षा यज्ञ संपन्‍न किया गया। 51 वेदपाठी छात्रों ने साधु-संतों के साथ मंत्रों का सस्वर पाठ कर देश ही नहीं पूरी दुनिया को इस महामारी से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की।

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औषधीय सामग्री से हुआ हवन

आचार्य पंडित रामानुज त्रिपाठी वैदिक के नेतृत्व में वैदिक मंत्रों के साथ गूग्‍गुल, धूप, जौ, इंद्रजौ, नागर मोथा, जटामासी, अगर, तगर, केसर, गुरुचि, सुगंध कोकिला, सुगंध बाला, भोजपत्र, नवग्रह लकड़ी, सूखा नारियल, चंदन चूर्ण, भष्म, समुद्र फेन, वच, देवदारु, आमा हल्दी, जायफल, सतावरि, नारायण धूप, करायल, सोठ, काली मिर्च, यवागू, पुत्रजीवक, घी जैसे औषधियों के साथ यज्ञ में हवन कराया गया यजमान की भूमिका में प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ ने यज्ञ पूजन कराया।

भारत में रही है यज्ञ की परंपरा

आचार्य ने कहा कि भारत में यज्ञ की परंपरा रही है, आहूतियों की परंपरा रही है, यज्ञ के हवन से उठने वाले धुएं से पूरा वातावरण पवित्र हो जाता है। आज सनातनी परंपरा को विश्व ने माना है। अगर विश्व सनातनी परंपरा को मानता तो शायद कोरोना जैसी महामारी नहीं आती। आज लोग प्रकृति के साथ खेल रहे हैं। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं तो निश्चित रूप से उन्हें प्रकृति दंड देगी। यज्ञ के माध्यम से वैदिक मंत्रों के बीच यज्ञ की आहुतियां औषधियों के साथ दी गई हैं।

यज्ञ से वातारण होगा शुद्ध

यज्ञ के औषधियों  की आहूति से उठने वाले धुआं से कोरोना जैसे वायरस और तमाम बैक्टीरिया नष्ट होंगे ही, एक शुद्ध वातावरण का भी सृजन होगा। देवता हम पर प्रसन्न होंगे। भारत समृद्धशाली एवं स्वस्थ होगा। इस राष्ट्र रक्षा यज्ञ के माध्यम से हम समाज को संदेश भी देना चाहते हैं कि लोग सनातन परंपरारा का अनुसरण करें। अपने घरों में धूप, कपूर, गूग्‍गुल, लोहबान से हवन करें। निश्चित रूप से यह बीमारी हम से कोसों दूर रहेगी।

यज्ञ में 51 वेदपाठी छात्र भी शामिल

मंदिर के प्रधान पुरोहित पं रामानुज त्रिपाठी वैदिक, संस्कृत विद्यापीठ के प्राचार्य डॉ अरविंद चतुर्वेदी, आचार्य डॉ रोहित मिश्र, डॉ रंगनाथ त्रिपाठी, बृजेश मणि मिश्र, डॉ दिग्विजय शुक्ल, कलाधर पौडवाल, पुरुषोत्तम चौबे,  नित्यानंद त्रिपाठी,पं. परशुराम सहित 51 वेदपाठी छात्रों एवं साधु-संतों ने यज्ञ किया। इस अवसर पर मंदिर के कार्यालय सचिव द्वारिका तिवारी,विनय गौतम  उपस्थित रहे।


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