यूपी के इस जिले में मिल रहे हैं दुर्लभ सांप, कराई जाएगी जियो टैगिंग Gorakhpur News
दुर्लभ प्रजाति के सर्प को संरक्षित करने की कवायद शुरू हो गई है। वन विभाग जियो टैगिंग कर जंगल में छोड़ेगा। जियो टैगिंग से सभी गतिविधियों की जानकारी मिलेगी। यह निर्णय जिले में दुर्लभ प्रजाति के सर्प मिलने के बाद लिया गया है।
प्रशांत सिंह, गोरखपुर : दुर्लभ प्रजाति के सर्प को संरक्षित करने की कवायद शुरू हो गई है। वन विभाग इनकी जियो टैगिंग कर जंगल में छोड़ेगा। इससे विभाग इनकी निगरानी भी करता रहेगा। जियो टैगिंग से सभी गतिविधियों की जानकारी मिलेगी। यह निर्णय जिले में दुर्लभ प्रजाति के सर्प मिलने के बाद लिया गया है। इनमें विषैले व विष विहीन दोनों शामिल हैं। विषैले सर्प को ककरहवा स्थित विभागीय वन क्षेत्र में छोड़ा जाएगा, जबकि विष विहीन प्रजाति के सर्प गोरखपुर चिड़ियाघर भेजे जाएंगे। विभाग ने इसके लिए स्नैक कैचिंग किट के साथ टैगिंग उपकरण भी उपलब्ध कराए हैं। कर्मियों का सर्प पकड़ने की की ट्रेनिंग भी दी गई है।
सर्पों के निवास के लिहाज से यहां की भौगोलिक स्थिति अनुकूल
सर्प के निवास के लिहाज से जनपद की भौगोलिक स्थिति अनुकूल है। खेत, खलिहान, बलुई व काली मिट्टी में यहां सर्प मिलते हैं। रेगिस्तान में मिलने वाले रेड सैंड बोआ (दोमुंहा) प्रजाति का सर्प भी मिल चुका है। कोबरा (नाज नाजा) व किंग कोबरा (ओपिओफैगस हन्नाह) प्रजाति के सर्प भी मिलते हें। यह गुस्सैल व विषैले होते हैं। इनका फन बड़ा, फैलने वाला और बड़ी गोल आंख वाला होता है। एक माह में इस प्रजाति के 20 सर्प पकड़े गए हैं। कामन करैत (बंगारस केरालेयुस) प्रजाति के सर्प विषैले होते हैं। दिन में शांत व रात्रि के समय आक्रामक हो जाते हैं। एक माह में 13 कामन करैत प्रजाति के सर्प मिले हैं। अजगर (इंडियन राक पायथन) विषविहीन इस सर्प के ऊपरी चमड़ी पर चमकीली पीली गोलाकार आकृति की होती है। जंगल, आम के बाग, दलदली भूमि में मिलने वाले इन सर्प का औसत वजन 40 से 80 किलो तक होता है। जनपद में यह राप्ती व बूढ़ी राप्ती के तटीय क्षेत्र में मिलते हैं। एक माह के भीतर 20 अजगर पकड़े गए हैं। इन्हें ककरहवा व महराजगंज के फरेंदा वन क्षेत्र में सुरक्षित छोड़ा गया है।
शोधकर्ताओं ने भी दिखाई है रूचि
यहां मिलने वाले प्रजाति के सर्प पर शोध करने के लिए शोधकर्ता भी यहां आएंगे। इन्होंने कोबरा व धामिन के क्रास प्रजाति पर शोध करने के लिए वन विभाग से संपर्क किया है। कोबरा व धामिन दोनोंं प्रजाति के सर्प दिखने में एक जैसे होते हैं। धामिन लंबी व विषविहीन होती है। इन दोनों की क्रास प्रजाति के सर्प विषैले व लंबे होते हैं।
दुर्लभ प्रजाति के सांपों को सुरक्षित करने का हो रहा प्रयास
डीएफओ आकाशदीप बधावन ने कहा कि जनपद में दुर्लभ प्रजाति के सर्प मिल रहे हैं। इन्हें सुरक्षित करने की कोशिश की जा रही है। इन्हें पकड़ने के लिए वन कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। सुरक्षित पकड़ने के लिए स्नेक कैचिंग टूल्स (सर्प पकड़ने का उपकरण) उपलब्ध कराया गया है। वन क्षेत्र में छोड़ने के दौरान जियो टैगिंग कराई जाएगी, जिससे इनकी गतिविधियों के संबंध में जानकारी मिल सके।