सब्जी की खेती कर रामदरश मौर्य ने दिखाया तरक्की का रास्ता Gorakhpur News
संतकबीर नगर के सांथा विकास खंड का धर्मसिंहवा क्षेत्र खेती-किसानी के लिए जाना जाता है। यहां के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है। लोग परंपरागत खेती से दूरी बना रहे हैं तथा व्यवसायिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं इससे उन्हें काफी फायदा पहुंच रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन : संतकबीर नगर के सांथा विकास खंड का धर्मसिंहवा क्षेत्र खेती-किसानी के लिए जाना जाता है। यहां के लोगों का मुख्य पेशा कृषि है। लोग परंपरागत खेती से दूरी बना रहे हैं तथा व्यवसायिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं, इससे उन्हें काफी फायदा पहुंच रहा है। धर्मसिंहवा के टोटहा गांव निवासी रामदरश मौर्य ने कड़ी मेहनत व मजबूत इरादों के दम पर तरक्की की इबारत लिखी है।
एक दशक पूर्व शुरू की सब्जी की खेती
रामदरश ने एक दशक पूर्व सब्जी की खेती शुरू की। फूलगोभी, पत्तागोभी, हरी मिर्च, धनिया, पालक, बैगन, भिंडी आदि की फसल उगाकर उन्होंने खुद को मजबूत किया तथा लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं। अब इन्होंने दो एकड़ खेत में केले की फसल भी लगाई है। नियमित यह चार लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। पिछले एक दशक में रामदरश की माली हालत पहले से काफी बेहतर हुई है। अब उनके पास खुद का पक्का मकान, ट्रैक्टर- ट्राली सहित अन्य खेती के उपकरण मौजूद हैं। उनकी तरक्की देखकर आसपास के गांव के लोग भी सब्जी की खेती करने लगे हैं। फसल तैयार होते ही व्यापारी खेत से ही सब्जी खरीद लेते हैं, इससे किसानों को दूरदराज जाकर बेचने की भी समस्या नहीं झेलनी पड़ती। सब्जी की खेती से रामदरश काफी मजबूत हुए हैं।
मुनाफे से बनाया विद्यालय
रामदरश सब्जी की खेती पिछले एक दशक से कर रहे हैं। खेती से होने वाले फायदे से उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने के लिए सोनमती देवी प्राथमिक विद्यालय पांच वर्ष पूर्व स्थापित किया। वर्तमान समय में यहां पर 350 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। विद्यालय में दस लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। इस विद्यालय को इंटर तक करने का निर्णय उन्होंने लिया है। विद्यालय की मान्यता के लिए उन्होंने शिक्षा विभाग में आवेदन भी किया है। इनकी योजना है कि ग्रामीण क्षेत्र में कम पैसे में लोगों को बेहतर शिक्षा दिलाई जा सके।
इन्होंने शुरू किया सब्जी की खेती
सब्जी की खेती से रामदरश की तरक्की देखकर गांव निवासी दयाराम मौर्य, मुंशीराम, संतू, ललारे, रामानंद, राममिलन, त्रिलोकी आदि किसानों ने भी परंपरागत खेती से दूरी बनाई। अब यह लोग भी सब्जी की खेती करने लगे है। अब पहले की अपेक्षा इन किसानों की भी स्थिति बेहतर हुई है। सभी किसान अपनी निजी जमीन पर सब्जी की खेती कर रहे हैं।