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खुद की अंतरराष्‍ट्रीय पहचान बनाने के बाद नौकायन की प्रतिभाओं को तरास रहे कबीर की माटी से निकले राजेश

संत कबीर की धरा के लाल राजेश यादव गांव की माटी से निकलकर आसमान की बुलंदी पर पहुंचे हैं। उन्होंने अपने कर्मों से यह सिद्ध किया है कि प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती। राजेश आज जनपद की पहचान हैं। नौकायन में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Sat, 13 Nov 2021 11:01 AM (IST)Updated: Sat, 13 Nov 2021 09:18 PM (IST)
संतकबीरनगर का नाम रोशन करने वाले अंतरराष्‍ट्रीय खिलाडी राजेश यादव। फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। संत कबीर की धरा के लाल राजेश यादव गांव की माटी से निकलकर आसमान की बुलंदी पर पहुंचे हैं। उन्होंने अपने कर्मों से यह सिद्ध किया है कि प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती। राजेश आज जनपद की पहचान हैं। नौकायन में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की है। सन 2010 में चीन में हुए एशियन गेम्स में उनकी टीम ने दो रजत पदक हासिल किया था। फिलहाल वह भारतीय नौकायन टीम के असिस्टेंट कोच के तौर पर देश की मेधा तैयार कर रहे हैं। उनका सपना है कि देश नौकायन में ओलंपिक के साथ ही अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में दुनिया का नेतृत्व करे। महाराष्ट्र के पूणे में भारतीय सेना में बतौर सूबेदार तैनात राजेश खासकर पूर्वांचल की प्रतिभाओं को मंच देने में भी जुटे हैं। वह समय-समय पर गांव आकर युवाओं को नौकायन के लिए प्रेरित भी करते हैं। उनका मानना है कि गोरखपुर का रामगढ़ ताल और बखिरा की झील नौकायन की तैयारी के लिए सर्वश्रेष्ठ जगह है।

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खेल के प्रति युवाओं को कर रहे जागरूक

नौकायन के प्रति युवाओं का आकर्षण बढ़े इसके लिए राजेश लगातार काम कर रहे हैं। सेना में जवानों को तराशने के साथ ही वह गांव के युवाओं को भी खेल के प्रति जागरूक कर रहे हैं। वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बखिरा और रामगढ़ को नौकायन प्रशिक्षण केंद्र के लिए तैयार करने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार भी खेलों को बढ़ावा देने में जुटी है। यही कारण है कि युवा वर्ग आज खेल में अपना भविष्य तलाश रहा है।

गांव से निकलकर दुनिया में कमाया नाम

संतकबीर नगर के हैंसर ब्लाक के कंचनपुर गांव निवासी स्वर्गीय महातम यादव के पांच बेटों में राजेश कुमार यादव तीसरे नंबर के हैं। उनका जन्म 1985 में हुआ। अति पिछड़े इस क्षेत्र को मांझा के नाम से जाना जाता है। वर्ष में यहां चार माह तक बाढ़ की स्थिति रहती है। इसी माझा की माटी में पले-बढ़े और राजेश ने प्राथमिक विद्यालय गायघाट में प्राथमिक शिक्षा हासिल की। वह कहते हैं कि पानी से उन्हें कभी डर नहीं लगा। जब बाढ़ अपने सवाब पर होती थी तो वह नदी में छलांग लगा देते थे। पानी से यही दोस्ती उन्हें नौकायन तक ले गई। हालांकि नौकायन का उनके बचपन की तैराकी से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि वह जब स्नातक कर रहे थे तभी वर्ष 2004 में उसका चयन सेना में हो गया। गार्ड रेजीमेंट सेंटर नागपुर में उसकी ट्रेनिंग हुई। ट्रेनिंग के दौरान ही पूणे से रोइंग की टीम आई थी, उसी में उनका चयन हो गया।

वर्ष 2005 में राजेश के पिता की हुई थी हत्या

राजेश यादव बताते हैं कि उनके पिता महातम यादव क्षेत्र के चर्चित पहलवान थे। वर्ष 2005 के पंचायत चुनाव में उनके पिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तब लग रहा था कि सब कुछ खत्म हो गया। लेकिन उनका परिवार उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दिया। उनकी मां जनकराजी देवी, भाई जय प्रकाश, राकेश, रमेश और उमेश ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। पत्नी सीमा ने हर वक्त उन्हें लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने की सीख दी।

खिलाड़ी के तौर पर राजेश की उपलब्धियां

राजेश ने राष्ट्रीय स्तर पर पांच स्वर्ण पदक जीता है। इसके साथ ही चार रजत और चार कांस्य भी उनके हिस्से में है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने दो रजत पदक प्राप्त किया है। 2006 में कोलकाता में स्प्रिंट नेशनल चैंपियनशिप में उन्होंने पहली बार दो सिल्वर मेडल जीते। 2007 में ओपेन नेशनल चैंपियनशिप भोपाल में भी दो सिल्वर मेडल हासिल किया। उसी वर्ष नेशनल गेम असम में दो कांस्य पदक जीता। वर्ष 2009 में ओपेन नेशनल चैंपियनशिप पूणे में एक कांस्य पदक प्राप्त किया। उसी वर्ष एशियन रोइंग चैंपियनशिप ताईवान में कांस्य पदक प्राप्त कर अपने दमखम और तकनीक का प्रदर्शन किया। चीन में 2010 में आयोजित एशियाड खेल में नौकायन में राजेश कुमार यादव को मौका मिला। जिसमें भारत को रजत दिलाया। इस स्पर्धा में भारत के साथ ही जापान, हांगकांग, इंडोनेशिया, उत्तर कोरिया और थाईलैंड की टीमों ने हिस्सा लिया था।

राजेश को मिले पुरस्कार और उपलब्धियां

राजेश को 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मान्यवर कांशीराम अंतरराष्ट्रीय खेल पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके साथ ही उन्हें 2015 में यश भारती पुरस्कार तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिया। प्रशिक्षक के तौर पर राजेश की उपलब्धियां बहुत बड़ी हैं। राष्ट्रीय स्तर पर उनके खाते में 27 स्वर्ण, 33 रजत और सात कांस्य पदक हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके तराशे खिलाड़ियों ने 22 स्वर्ण, आठ रजत और चार कांस्य पदक प्राप्त किया है। रियो ओलंपिक 2016 में भोखलाल दत्तू को 13वीं पोजिशन


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