Indian Railways: दुनिया के सबसे लंबे प्लेटफार्म को 'राजधानी' का इंतजार
Gorakhpur Railway Station पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय स्टेशन गोरखपुर में विश्व का सबसे लंबा प्लेटफार्म (1366.44 मीटर) बन गया दस प्लेटफार्म तैयार हो गए मुख्य रेलमार्गों का इलेक्ट्रिफिकेशन हो गया। हालांकि गुरु गोरक्षनाथ की पावन धरती से होकर आजतक भारतीय रेलवे की प्रमुख ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस नहीं चल सकी।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। World's Longest Platform: पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय स्टेशन गोरखपुर में विश्व का सबसे लंबा प्लेटफार्म (1366.44 मीटर) बन गया, दस प्लेटफार्म तैयार हो गए, मुख्य रेलमार्गों का इलेक्ट्रिफिकेशन हो गया। यही नहीं, गोरखपुर औद्योगिक हब बन रहा, खाद कारखाना को चलाने की तैयारी है और पूर्वांचल की चीनी मिलें चलने लगी हैं। जनप्रतिनिधि ही नहीं, उद्योगपति, व्यापारी और पर्यटकों का आवागमन बढ़ गया है। हालांकि, गुरु गोरक्षनाथ की पावन धरती से होकर आजतक भारतीय रेलवे की प्रमुख ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस नहीं चल सकी। सबकुछ बदल गया, लेकिन आज भी गोरखपुर और बस्ती मंडल के करीब दो करोड़ लोग अपने को उपेक्षित महसूस करते हैं। गोरखपुर के रास्ते आवागमन करने वाले बिहार और पड़ोसी देश नेपाल के लोग भी राजधानी सहित देश की वीआइपी ट्रेनों शताब्दी, वंदे भारत और दूरंतो आदि की राह देख रहे हैं।
राजधानी एक्सप्रेस की राह देख रही गोरखपुर-बस्ती मंडल के दो करोड़ से अधिक की आबादी
दरअसल, पूर्वोत्तर रेलवे ही नहीं पूर्वांचल का भी तेजी के साथ बदलाव हो रहा है। लेकिन मुख्य रेलमार्ग बाराबंकी- गोरखपुर- छपरा (लगभग 425 किमी) पर आज भी 27 साल से गोरखपुर के रास्ते बरौनी से नई दिल्ली के बीच चल रही वैशाली एक्सप्रेस ही लोगों के जुबान पर चढ़ी हुई है। हालांकि, दिल्ली जाने वाले लोगों की भीड़ बढ़ी तो रेलमंत्रालय ने 12 जुलाई 2001 को गोरखधाम एक्सप्रेस को हरी झंडी दे दी। 20 साल हो गए, लेकिन गोरखधाम के बाद गोरखपुर से न कोई महत्वपूर्ण ट्रेन मिली और न ही दिल्ली के लिए राजधानी चली। मंत्रालय ने 16 नवंबर 2016 से पूरी तरह वातानुकूलित हमसफर एक्सप्रेस का संचालन शुरू किया, लेकिन आज तक वह अपनी पहचान नहीं बना सकी। यह तब है, जब पूर्वोत्तर रेलवे यात्री प्रधान है। सामान्य दिनों में सिर्फ गोरखपुर से ही डेढ़ लाख लोग आवागमन करते हैं। गोरखपुर सहित विभिन्न स्टेशनों से 136 एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे में ही पड़ता है बौद्ध और रामायण सर्किट
पूर्वांचल में पड़ने वाला बौद्ध और रामायण सर्किट पूर्वोत्तर रेलवे के क्षेत्र में ही पड़ता है। राम मंदिर निर्माण शुरू होते ही बड़ी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु अयोध्या पहुंचने लगे हैं। भगवान बुद्ध का जन्म लुंबिनी में हुआ था। कपिलवस्तु में वह बड़े हुए और सारनाथ में प्रथम उपदेश दिया। कुशीनगर में महापरिनिर्वाण हुआ। देवरिया के खुखुंदू में ही जैन धर्म के नौंवे तीर्थंकर पुष्पदंत नाथ जन्मस्थली है। जिसे काकंदी के नाम से भी जाना जाता है। संतकबीरनगर के मगहर में कबीरदास की समाधिस्थल है। स्वामीनारायण छपिया स्टेशन के पास स्वामी नारायण का मंदिर है। इन धार्मिक स्थलों पर तक जाने के लिए देश-विदेश से रोजाना हजारों की संख्या में अनुयायी व धर्मावलंबी गोरखपुर जंक्शन पहुंचते हैं। काठमांडू जाने वाले पर्यटक भी गोरखपुर होकर ही नेपाल में प्रवेश करते हैं। हालांकि, अब लोग फ्लाइट से भी यात्रा करने लगे हैं, लेकिन नियमित फ्लाइट नहीं होने से अभी भी ट्रेनों पर पूरी निर्भरता बनी हुई है।
गोरखपुर से ही होता है, नेपाल के लोगों का आवागमन
नेपाल के लोग भी गोरखपुर से ही रेलमार्ग की यात्रा शुरू करते हैं। भारत ही नहीं, दूसरे देशों में जाने के लिए भी प्रतिदिन बड़ी संख्या में नेपाल के नागरिक गोरखपुर पहुंचते हैं। सामान्य दिनों में रोजाना हजारों की संख्या में ट्रेन के माध्यम से नेपाल के नागरिक दिल्ली सहित भारत के विभिन्न शहरों में आवागमन करते हैं। सीमा पर स्थित नौतनवा रेलवे स्टेशन से होकर वे भारत में प्रवेश करते हैं।
खाद कारखाने के साथ हो रहा औद्योगिक गलियारे का विकास
गोरखपुर में खाद कारखाना बनकर लगभग तैयार है। उद्घाटन की तैयारी चल रही है। इसके अलावा गोरखपुर में औद्योगिक गलियारे का भी तेजी के साथ विकास हो रहा है। औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में पहले से चल रहे कल कारखानों का विस्तार हो रहा है। आने वाले दिनों में देश- विदेश की पेय पदार्थ, स्टील, पेंट और टैक्सटाइल्स की बड़ी कंपनियां स्थापित होंगी। प्रदेश सरकार की हरी झंडी के बाद औद्योगिक घरानों ने भी कल कारखाने खोलने की सहमति दे दी है।
सामान्य ट्रेनों से ही होती है, जनप्रतिनिधियों व व्यावसायियों की यात्रा
धर्मावलंबी और पर्यटक ही नहीं, पूर्वांचल के जनप्रतिनिधि, देश-विदेश के उद्योगपति और व्यावसायी भी गोरखपुर से ही देश की राजधानी दिल्ली तक की यात्रा करते हैं। लेकिन उन्हें भी गोरखपुर और इस रास्ते से चलने वाली सामान्य ट्रेनों में धक्के खाने पड़ते हैं। एक तो कन्फर्म टिकटों और यात्री सुविधाओं का टोटा और ऊपर से 14 से 15 घंटे का समय पहाड़ चढ़ने जैसा हो जाता है।
यह भी जानें
देश की राजधानी दिल्ली को राज्यों की राजधानी से जोड़ती है राजधानी एक्सप्रेस।
पूरी तरह वातानुकूलित, आरामदायक और सुविधाजनक होती हैं ट्रेन की बोगियां।
न्यूनतम 110 से 160 किमी प्रति घंटे होती है रफ्तार, समय से पहुंचती हैं एक्सप्रेस।
सामान्य से अधिक लगता है किराया, किराए में ही जुड़ जाता है खानपान का शुल्क।
सुबह, दोपहर, शाम और रात में मिलता रहता है निर्धारित मेन्यू का नाश्ता व खाना।