रेलवे अब आम जन को भी पढ़ाएगा वेद, पुराण और उपनिषद, जानें-क्या हुई है व्यवस्था Gorakhpur News
रेलवे की वेबसाइट पर जाकर लाइब्रेरी सेक्शन में एक क्लिक करते ही वेद पुराण उपनिषद और दुर्लभ पौराणिक पुस्तकों के अलावा मनपसंद अध्यात्मिक राजनीतिकदर्शन की किताबें मिल जाएंगी।
गोरखपुर, प्रेम नारायण द्विवेदी। डिजिटल इंडिया की तरफ बढ़ रहा पूर्वोत्तर रेलवे लोगों को किताबों की दुनिया से जोडऩे की कोशिश में भी लग गया है। इसके लिए केंद्रीय ग्रंथालय को समृद्ध बनाने के साथ उसे आनलाइन कर दिया गया है। रेलवे की वेबसाइट पर जाकर लाइब्रेरी सेक्शन में एक क्लिक करते ही वेद, पुराण, उपनिषद और दुर्लभ पौराणिक पुस्तकों के अलावा मनपसंद अध्यात्मिक, राजनीतिक, साहित्यिक, दर्शन और विज्ञान की किताबें भी सामने होंगी।
बाहरी लोग भी बन सकेंगे सदस्य
इस आनलाइन सुविधा का लाभ बाहरी व्यक्ति भी उठा सकते हैं। अभी तक आमजन किताबों का चयन कर ग्रंथालय में पढ़ते रहे, लेकिन ग्रंथालय का सदस्य नहीं बन पाते थे। ग्रंथालय का सदस्य सिर्फ रेलकर्मी ही होते हैं। अब रेलवे प्रशासन ने बाहरी लोगों को भी सदस्य बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। प्रस्ताव पर मुहर लगते ही रिटायर्ड रेलकर्मी और छात्र ग्रंथालय का सदस्य बन सकेंगे। वे भी अपने रुचि की किताबों को घर ले जाकर पढ़ सकेंगे।
धरोहर भी है रेलवे का केंद्रीय ग्रंथालय
1860 में स्थापित पूर्वोत्तर रेलवे का केंद्रीय ग्रंथालय धरोहर भी है। आक्सफोर्ड डिक्शनरी, ङ्क्षहदी विश्वकोष, आजादी से पूर्व के गजेटियर, रेलवे की दुर्लभ पांडुलिपियां सहित 18वीं सदी की पुस्तकें संरक्षित हैं। पुस्तकालय एवं सूचना सहायक ओम प्रकाश त्यागी के अनुसार ग्रंथालय में महात्मा गांधी, नेहरू, आंबेडकर, ओशो और अरविंदो आदि के कलेक्शन सहित प्रेम चंद, अज्ञेय, भारतेंदु हरिश्चंद्र, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामधारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन और माखन लाल चतुर्वेदी की साहित्य रचना के अलावा प्राचीन और आधुनिक भारत ही नहीं विश्व की दुर्लभतम जानकारियां पुस्तकों में समाहित हैं।
घर बैठे मिल जाएगी पुस्तकों की लोकेशन
एनई रेलवे की वेबसाइट पर मौजूद ई लाइब्रेरी में कोई भी व्यक्ति पसंदीदा पुस्तक खोज सकता है। घर बैठे उसे पुस्तकों की लोकेशन मिल जाएगी। ऐसे में ग्रंथालय पहुंचने के बाद पुस्तक खोजने में परेशानी नहीं होगी। पुस्तक ग्रंथालय में उपलब्ध है या नहीं, इसकी जानकारी एक क्लिक पर मिल जाएगी।
83 में से 45 हजार अपलेखन हो गई हैं पुस्तकें
केंद्रीय गं्रथालय में पुस्तकों का विशाल संग्रह है। कुल 83 हजार पुस्तकें थीं। पन्नों के फटने व बाइंडिंग आदि न होने के चलते 45 हजार अपलेखन (कंडम) कर दी गई हैं। वर्तमान में लगभग 35 हजार आन रिकार्ड पुस्तकें हैं। उन्हें संरक्षित किया गया है। लोगों ने लगभग चार हजार पुस्तकें वापस ही नहीं की हैं।
लाइब्रेरी को डिजिटल प्लेटफार्म उपलब्ध
एनई रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह का कहना है कि पूर्वोत्तर रेलवे की 60 वर्ष पुरानी लाइब्रेरी को डिजिटल प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराया गया है। जिससे पुरानी पुस्तकों को खोजने व पढऩे में सुविधा होगी।