अब सभी ट्रेनों में लगेगा यह सिस्टम, संरक्षित होगा पर्यावरण और हर माह बचेगी करोड़ों की डीजल Gorakhpur News
नए एलएचबी रेक में आगे और पीछे दो पॉवर कार लगती हैं। पॉवर कार से ही कोच में बिजली दी जाती है। पॉवर कार डीजल से चलती है। पुरानी परंपरागत रेकों में बैट्री से कोच में बिजली दी जाती थी।
गोरखपुर, जेएनएन। पर्यावरण संरक्षण और बचत की तरफ रेलवे ने एक और अहम कदम बढ़ाया है। भारतीय रेलवे की ट्रेनें अब हेड आन जेनरेशन सिस्टम (एचओजी) की रेक से चलेगी। यानी, ट्रेन में पॉवर कार तो रहेगी लेकिन बिजली इंजन से मिलेगी। यानी, एसी, पंखे और लाइट भी इंजन के पॉवर से ही चलेंगे। पूर्वोत्तर रेलवे में गुरुवार को इसकी शुरुआत हो गई। गोरखपुर से आनंदविहार जाने वाली 12595 हमसफर एक्सप्रेस को हेड आन जेनरेशन सिस्टम रेक लगाकर रवाना किया गया। आने वाले दिनों में अंत्योदय और अन्य प्रमुख एक्सप्रेस ट्रेनों में यह सिस्टम लगाया जाएगा।
विकल्प के रूप में लगी रहेगी पॉवर कार
नए सिस्टम की रेक प्लेटफार्म नंबर आठ से रात आठ बजे यात्रियों को लेकर रवाना हुई। नए सिस्टम में विकल्प के रूप में पॉवर कार लगी रहेगी, लेकिन वह पॉवर नहीं बनाएगा। विषम परिस्थितियों में ही उससे पॉवर बनाया जाएगा।
एलएचबी रेक में लगती हैं दो पॉवर कार
नए एलएचबी रेक में आगे और पीछे दो पॉवर कार लगती हैं। पॉवर कार से ही कोचों में बिजली दी जाती है। पॉवर कार डीजल से चलती है। पुरानी परंपरागत रेकों में बैट्री से कोचों में बिजली दी जाती है।
माह में सिर्फ एक ट्रेन बचाएगी लगभग 63 लाख
एक हमसफर के गोरखपुर से आनंदविहार जाने और आने में सिर्फ पॉवर कार में ही लगभग 3500 सौ लीटर डीजल जल जाता है। एक दिन में करीब दो लाख दस हजार का डीजल जल जाता है। इस हिसाब से एक माह में 63 लाख का डीजल खपत हो जाता है। यह सिर्फ एक ट्रेन के पॉवर कार में आने वाला खर्च है। बिजली से यह खर्च बहुत कम हो जाएगी। गोरखपुर से ही रोजाना 150 गाडिय़ां बनकर चलती हैं। इससे करोड़ों रुपये की बचत होगी।