बारिश का पानी इकट्ठा कर बागवानी करते हैं रेलवे के इंजीनियर Gorakhpur News
सीनियर सेक्शन इंजीनियर रमेश पांडेय के अनुसार 15 जून से पहले श्रमदान कर गड्ढे तैयार कर लिए जाते हैं। आसपास के पुराने भवनों से गिरने वाला बारिश का पानी नालियों में बहने की बजाय गड्ढों में इकट्ठा हो जाता है।
गोरखपुर, जेएनएन। जल संरक्षण के प्रति रेलवे इंजीनियरों की पहल दूसरों के लिए नजीर बनी हुई है। यांत्रिक विभाग के इंजीनियर अपने हाथों से देसी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार कर बारिश के पानी से बागवानी करते हैं। इंजीनियर गोरखपुर स्थित कार्यालय परिसर के पतंजलि उद्यान में गड्ढा खोदकर बारिश के पानी को संचित करते हैं। संचित पानी से आसपास की 12 वाटिकाओं की फूल-पौधों की सिंचाई होती है।
श्रमदान से 15 जून तक तैयार हो जाते हैं गड्ढे
सीनियर सेक्शन इंजीनियर रमेश पांडेय के अनुसार 15 जून से पहले श्रमदान कर गड्ढे तैयार कर लिए जाते हैं। आसपास के पुराने भवनों से गिरने वाला बारिश का पानी नालियों में बहने की बजाय गड्ढों में इकट्ठा हो जाता है। ये उद्यान और वाटिकाओं को हरा-भरा रखने के काम आता है। आसपास की भूमि में नमी बनी रहती है। यहां जान लें कि चार वर्ष पूर्व तत्काल प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर एके सिंह की पहल पर यांत्रिक विभाग के इंजीनियरों ने श्रमदान शुरू किया। ड्यूटी के अतिरिक्त सप्ताह में दो दिन दो-दो घंटे का समय निकालकर श्रमदान के माध्यम से उन्होंने उद्यान तैयार किया। बारिश के दिनों में हाथ से गड्ढे बनाकर जल संचित कर बागवानी करने लगे। उद्यान और वाटिका लोगों को बरबस अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।
यहां लगाया जा चुका है रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्लांट
दरअसल, पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन बारिश के एक-एक बूंद को संरक्षित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है। इसके तहत फिलहाल भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्लांट तैयार किए जा रहे हैं। 200 वर्ग मीटर व उससे अधिक क्षेत्रफल वाले छत के सभी भवनों में अनिवार्य रूप से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम (वर्षा जल संचयन) लगाए जाएंगे। गोरखपुर मुख्यालय में अधिकारी क्लब, सीनियर सेकेंडरी स्कूल, रेलवे सुरक्षा विशेष बल का 400 बेड का हास्टल, स्टेशन का रनिंग रूम में रेनवाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगाया जा चुका है। इसके अलावा वाशिंग पिट में भी वाटर रिसाइक्लिंग प्लांट के जरिए जल को संरक्षित किया रहा है। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्मों पर क्विक वाटङ्क्षरग सिस्टम लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।