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'कल्याण' के संपादक व गीता प्रेस ट्रस्ट के अध्यक्ष राधेश्याम खेमका का वाराणसी में निधन Gorakhpur News

कल्याण पत्रिका के संपादक और गीता प्रेस ट्रस्ट के अध्यक्ष राधेश्याम खेमका का शनिवार को वाराणसी में निधन हो गया। उन्होंने अपनी अंतिम सांस वाराणसी के केदारघाट पर ली। 86 वर्षीय राधेश्याम बीते कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 07:50 AM (IST)Updated: Sun, 04 Apr 2021 11:34 AM (IST)
'कल्याण' के संपादक व गीता प्रेस ट्रस्ट के अध्यक्ष राधेश्याम खेमका का वाराणसी में निधन Gorakhpur News
गीता प्रेस ट्रस्ट के अध्यक्ष स्‍वर्गीय राधेश्याम खेमका। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन। गीता प्रेस की मासिक पत्रिका 'कल्याण' के संपादक और गीता प्रेस ट्रस्ट के अध्यक्ष राधेश्याम खेमका का शनिवार को निधन हो गया। उन्होंने अपनी अंतिम सांस वाराणसी के केदारघाट पर ली। शनिवार को ही देर शाम आठ बजे काशी में गंगा घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। 86 वर्षीय राधेश्याम बीते कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे।

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गीता प्रेस में आयोजित हुई श्रद्धांजलि सभा

राधेश्याम खेमका अपने पीछे पुत्र राजाराम खेमका, पुत्री राज राजेश्वरी, भतीजों गोपाल खेमका, कृष्ण कुमार खेमका व गणेश कुमार खेमका समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन से गीता प्रेस समेत धर्म-कर्म से जुड़े क्षेत्र के लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। निधन की सूचना मिलने के बाद गीता प्रेस में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया, जिसमें प्रेस के कर्मचारियों ने उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना की। इस अवसर पर ट्रस्टी देवी दयाल अग्रवाल, माधव प्रसाद जालान, उत्पाद प्रबंधक डा. लालमणि तिवारी आदि मौजूद रहे।

38 वर्ष तक रहे कल्याण के संपादक

राधेश्याम खेमका ने सबसे पहले वर्ष 1982 में नवंबर व दिसंबर के कल्याण अंक का संपादन किया था। उसके बाद वर्ष मार्च 1983 से वह लगातार संपादन का कार्य संभालते रहे। 86 वर्ष की उम्र में तबियत खराब होने के बावजूद उन्होंने अप्रैल 2021 तक के अंकों का पूरे उत्साह के साथ संपादन किया है। 

कल्‍याण के 38 वार्षिक विशेषांक, 460 सम्पादित अंक प्रकाशित हुए

उनके संपादन में कल्याण के 38 वार्षिक विशेषांक, 460 सम्पादित अंक प्रकाशित हुए। इस दौरान कल्याण की 9 करोड़ 54 लाख 46 हजार प्रतियां प्रकाशित हुईं। कल्याण में पुराणों एवं लुप्त हो रहे संस्कारों व कर्मकांड की पुस्तकों का प्रामाणिक संस्करण भी उनके राधेश्याम खेमका के संपादन में ही प्रकाशित हुआ।


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