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प्रापर्टी डीलर पर हुई गैंगेस्टर की कार्रवाई पर सवाल, हाइकोर्ट ने डीएम से मांगा जवाब

प्रापर्टी डीलर रणधीर सिंह की 60 करोड़ की संपत्ति जब्त किए जाने के मामले में प्रशासन बैकफुट पर आ गया है। डीएम का आदेश होने के बाद भी कुर्क की गई संपत्ति को तहसीलदार व शाहपुर थानेदार ने कब्जे में नहीं लिया है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Mon, 13 Dec 2021 10:45 AM (IST)Updated: Mon, 13 Dec 2021 10:45 AM (IST)
प्रापर्टी डीलर पर हुई गैंगेस्टर की कार्रवाई पर सवाल, हाइकोर्ट ने डीएम से मांगा जवाब
प्रापर्टी डीलर पर हुई गैंगेस्टर की कार्रवाई पर सवाल, हाइकोर्ट ने डीएम से मांगा जवाब। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। प्रापर्टी डीलर रणधीर सिंह की 60 करोड़ की संपत्ति जब्त किए जाने के मामले में प्रशासन बैकफुट पर आ गया है। डीएम का आदेश होने के बाद भी कुर्क की गई संपत्ति को तहसीलदार व शाहपुर थानेदार ने कब्जे में नहीं लिया है। रणधीर सिंह ने स्थानीय प्रशासन पर गलत तरीके से गैंगस्टर की कार्रवाई किए जाने का आरोप लगाया है। उनकी फरियाद का संज्ञान लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने डीएम से जवाब-तलब किया है। 17 दिसंबर को व्‍यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर उन्‍हें जवाब देने का आदेश दिया है।

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नौ माह में दूसरी बार कुर्क हुई है प्रापर्टी डीलर की संपत्ति

गैंगस्टर एक्ट में जिलाधिकारी ने नौ माह के भीतर दूसरी बार एचएन सिंह चौराहा पर स्थित रणधीर सिंह की 60 करोड़ रुपये कीमत की संपत्ति को कुर्क किया है। 27 अप्रैल 2021 को हुए आदेश के क्रम में तहसीलदार व शाहपुर पुलिस ने प्रापर्टी डीलर रणधीर के होटल, लान व काम्लेक्स को सील कर दिया लेकिन चार दिन बाद ही ताला खोलना पड़ा।

एक सप्‍ताह पहले दूसरी बार कार्रवाई होने न्‍यायालय से लगाई गुहार

एक सप्ताह पहले जिलाधिकारी ने गैंगस्टर एक्ट में दूसरी बार रणधीर सिंह की पूरी संपत्ति जब्त कर कुर्क करने का आदेश तहसीलदार सदर व शाहपुर थानेदार काे दिया था। गलत तरीके से कार्रवाई किए जाने का तर्क देते हुए रणधीर ने आदेश के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने जिलाधिकारी को तलब किया है।

गैंगेस्‍टर की कार्रवाई का आधार गलत

रणधीर का आरोप है कि जिन तीन मुकदमे को आधार बनाकर गैंगस्टर की कार्रवाई की गई है उसमें एक को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दूसरे में वह दोष मुक्त हैं। तीसरा मुकदमा व्यक्तिगत है। प्रशासन के लोग उन्हें टारगेट कर कार्रवाई कर रहे हैं। उनकी गुहार पर उच्‍च न्‍यायालय ने गोरखपुर जिलाधिकारी को अदालत में व्‍यक्तिगत रूप सो उपस्थित होकर जवाब देने का निर्देश दिया है।


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