गोरखपुर: बस आठ दिन और खुले रहेंगे क्रय केंद्र, गेहूं बेचने को 35 फीसद किसान बाकी
गोरखपुर में दो महीने से अधिक समय में करीब 65 फीसद किसानों से ही गेहूं की खरीद की जा सकी है। यहां गेहूं क्रय केंद्र अब केवल आठ दिन और खुले रहेंगे लेकिन जिले में करीब 35 फीसद किसान अपना गेहूं बेचने को शेष हैं।
गोरखपुर, उमेश पाठक। गेहूं क्रय केंद्र अब केवल आठ दिन और खुले रहेंगे लेकिन जिले में करीब 35 फीसद किसान अपना गेहूं बेचने को शेष हैं। ये वे किसान हैं, जिन्होंने गेहूं बेचने के लिए आनलाइन पंजीकरण के लिए आवेदन किया है। ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि अंतिम समय तक क्रय केंद्रों पर किसानों का आना जारी है। खाद्य विभाग के केंद्रों पर तो जैसे-तैसे खरीद हो जा रही है लेकिन कोआपरेटिव सोसाइटियों के कई केंद्रों पर बोरे की कमी के कारण कई दिन खरीद बंद रह रही है। जिले में शनिवार तक करीब 19 हजार किसानों से करीब 86000 टन गेहूं की खरीद की गई है। यदि सभी क्रय केंद्रों पर खरीद हुई तब भी सभी किसानों से गेहूं खरीद पाना आसान नहीं होगा।
कोआपरेटिव सोसाइटी के कई केंद्रों पर बोरे के अभाव में नहीं हो पा रही खरीद
गोरखपुर में इस समय करीब 139 क्रय केंद्र सक्रिय हैं। इनमें से 27 खाद्य विभाग के केंद्र हैं। उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएफ) के 68, यूपीपीसीयू के 29, यूपीएसएस के 12, मंडी समिति के दो, भारतीय खाद्य निगम के एक केंद्र शामिल हैं। पर, दो महीने से अधिक समय में करीब 65 फीसद किसानों से ही गेहूं की खरीद की जा सकी है। इस समय जिले के लगभग हर तहसील क्षेत्र में किसानों को कई दिनों तक गेहूं बेचने के लिए लाइन लगानी पड़ रही है।
कई दिनों से परेशान किसानों के सब्र का बांध टूट रहा है। प्रदेश सरकार की ओर से 15 जून तक गेहूं क्रय केंद्रों को खोलने का आदेश दिया गया है। लगभग सभी जिले अधिकतम खरीद कर चुके हैं। क्रय केंद्रों को खोलने की समय सीमा और बढ़ाई जाएगी, इसकी उम्मीद कम है। मानसून को देखते हुए भी क्रय केंद्रों को 15 जून के बाद खोल पाना संभव नहीं होगा। साथ ही भंडारण भी प्रमुख समस्या है।
कहीं बोरे की दिक्कत तो कहीं भंडारण की
कई केंद्रों पर किसानों को चार से पांच दिन तक लाइन लगाना पड़ रहा है। सहजनवां क्षेत्र के कुछ केंद्रों पर किसान रात में भी रुक रहे हैं कि सुबह जल्दी उनका गेहूं खरीद लिया जाए। पीसीएफ के कई केंद्रों पर बोरे की किल्लत बताई जा रही है जबकि खाद्य विभाग की ओर से शुरू में ही साढ़े पांच लाख बोरे दिए जा चुके हैं। पर, पीसीएफ की ओर से जरूरत के अनुसार बोरों का वितरण नहीं किया गया। इस समय भी कुछ केंद्रों पर बोरे पड़े हैं तो कुछ स्थानों पर समाप्त हो चुके हैं।
किसानों से तेजी से गेहूं खरीद न हो पाने का एक और कारण भंडारण भी है। भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में जगह नहीं है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जितना अनाज जाता है, उतना ही खरीदा अनाज रखा जा रहा है। यही कारण है कि ट्रक कई दिन गोदाम के बाहर ही खड़े रह रहे हैं। खाद्य विभाग की ओर से धुरियापार में भी बड़े गोदाम की व्यवस्था की गई है।
एक दिन में खरीद सकते हैं अधिकतम 350 कुंतल गेहूं
एक केंद्र पर एक दिन में अधिकतम 350 कुंतल गेहूं ही खरीदा जा सकता है। सप्ताह में चार दिन एक किसान से अधिकतम 50 कुंतल जबकि दो दिन इससे अधिक गेहूं खरीदा जा सकता है। जिस दिन बड़े किसानों को छूट है, उस दो से तीन किसानों के गेहूं से ही अधिकतम खरीद पूरी हो जाती है। इधर जैसे-जैसे क्रय केंद्रों के बंद होने का समय आ रहा है, किसानों की ङ्क्षचता भी बढ़ रही है।
इस साल अभी तक किसानों की अ'छी-खासी संख्या केंद्रों पर पहुंच रही है। खाद्य विभाग के सभी केंद्रों पर खरीद अनवरत जारी है। सोसाइटी के कुछ केंद्रों पर बोरे की समस्या थी। हालांकि जूट के 18 लाख बोरे कल तक आ जाएंगे। इसके बाद खरीद और तेज हो सकेगी। - राकेश मोहन पांडेय, डिप्टी आरएमओ।