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गीताप्रेस में धार्मिक चित्रों व पोस्टरों का प्रकाशन बंद, हर साल छपते थे तीस हजार चित्र, जानें-क्‍या है कारण Gorakhpur News

30 हजार चित्रों का हर साल प्रकाशन करने वाला गीताप्रेस अब एक भी तस्वीर या पोस्टर नहीं छापता है। प्रबंधन से जुड़े लोगों ने जीएसटी को इसकी वजह बताया।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 09:17 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 10:01 AM (IST)
गीताप्रेस में धार्मिक चित्रों व पोस्टरों का प्रकाशन बंद, हर साल छपते थे तीस हजार चित्र, जानें-क्‍या है कारण Gorakhpur News
गीताप्रेस में धार्मिक चित्रों व पोस्टरों का प्रकाशन बंद, हर साल छपते थे तीस हजार चित्र, जानें-क्‍या है कारण Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। गीताप्रेस पहुंचे सैलानी यह जानकर बेहद निराश हुए कि  'जय श्री राम और 'जय श्री कृष्ण लिखे उन दुर्लभ चित्रों का प्रकाशन अब बंद हो चुका है, जिसमें राम-कृष्ण के संपूर्ण जीवन चरित्र का दर्शन महज तीन शब्दों में हो जाता था। उन्हें बताया गया कि शिव की बारात हो या उनका अड़भंगी रूप, रामदरबार से लेकर लड्डू गोपाल जैसे 30 हजार चित्रों का हर साल प्रकाशन करने वाला गीताप्रेस अब एक भी तस्वीर या पोस्टर नहीं छापता है। प्रबंधन से जुड़े लोगों ने जीएसटी को इसकी वजह बताया।

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सैलानियों को हुआ आश्‍चर्य

महाराष्ट्र और गुजरात से धार्मिक यात्रा पर निकला एक जत्था गीता प्रेस पहुंचा था। उन लोगों ने उन पोस्टरों को खरीदने की इच्छा जाहिर की, जो वहां की दीवारों पर टंगे थे। उन्हें बताया गया कि गीताप्रेस धार्मिक पुस्तकों के साथ मां सरस्वती, भगवान विष्णु, बालक रूप श्रीराम, लड्डू गोपाल, राधाकृष्ण, हनुमानजी, जगत जननी राधा, सीताराम, राम दरबार, सर्व देवमयी गऊ आदि स्वरूपों वाले पोस्टर भी प्रकाशित करता रहा है।

बहुत सस्‍ते थे पोस्‍टर

खास बात ये थी कि यह पोस्टर उनके अपने कलाकारों के हस्त निर्मित होते थे। दो से तीन फीट लंबाई-चौड़ाई वाले इन पोस्टरों की कीमतें 10 और 20 रुपये थीं। 2007 से शुरू हुआ प्रकाशन 2017 तक चला। इस दौरान तीन लाख छह हजार से अधिक चित्रों का प्रकाशन किया गया, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद इसे बंद करना पड़ा।

मुफ्त में बांटने पड़े साढ़े तीन लाख के पोस्टर

जीएसटी में पोस्टर और चित्रों को 18 फीसद वाले स्लैब में डाल दिया गया। धार्मिक तस्वीरों को छूट न मिलने के चलते गीताप्रेस को इसका प्रकाशन बंद करना पड़ा। दरअसल जीएसटी लगने से तस्वीरों की कीमतें तो बढ़ ही जाती थीं, साथ ही इसके लिए एक अलग विभाग संचालित करना पड़ता। ऐसे में सस्ते दर पर पोस्टर उपलब्ध करा पाना संभव नहीं था। बचे हुए साढ़े तीन लाख रुपये के पोस्टर को बेचने पर जीएसटी देना पड़ता, ऐसे में इन्हें डेड स्टॉक दिखाकर निश्शुल्क वितरित कर दिया गया।

सरकार जीएसटी हटाए तभी होगा प्रकाशन

गीता प्रेस के उत्‍पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी का कहना है कि सरकार को धार्मिक चित्रों से जीएसटी हटा लेनी चाहिए। इससे भगवान के चित्रों का प्रचार-प्रसार तेजी से हो सकेगा। सरकार यदि ऐसा करती है तो गीताप्रेस पुन: चित्रों के प्रकाशन का निर्णय ले सकता है।


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