गोरखपुर के विंध्यवासिनी पार्क का नाम बदले जाने के विरोध में मार्च 25 को Gorakhpur News
गोरखपुर के विंध्यवासिनी पार्क का नाम बदले जाने के विरोध में विभिन्न संगठनों के लोगों ने नगर के चित्रगुप्त मंदिर सभागार में बैठक कर आंदोलन की रणनीति तय की।
गोरखपुर, जेएनएन। विंध्यवासिनी पार्क का नाम बदले जाने के विरोध में विभिन्न संगठनों के लोगों ने नगर के चित्रगुप्त मंदिर सभागार में बैठक की। पार्क का नाम बदले जाने के विरोध में क्रमिक आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। निर्णय लिया यदि पार्क का नाम विंध्यवासिनी पार्क नहीं रहता है तो वह सोमवार को सड़क मार्च करेंगे।
चित्रगुप्त मंदिर से निकलेगा मार्च
क्रमिक आंदोलन की रणनीति के मुताबिक लोग सोमवार सुबह 11 बजे चित्रगुप्त मंदिर से जिलाधिकारी कार्यालय तक सड़क मार्च करेंगे। मंगलवार को प्रदर्शन व नुक्कड़ सभा आयोजित किया जाएगा। विजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वह आंदोलन के तीसरे अथवा चौथे दिन महात्मा गांधी अथवा इंदिरा गांधी प्रतिमा के सामने आमरण अनशन करेंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण को लेकर रविवार को मुख्यमंत्री से मिला जाएगा। वार्ता में उचित हल न निकलने पर आंदोलन होगा।
अधिकारियों पर साधा निशाना
इससे पूर्व बैठक में विंध्यवासिनी पार्क का नाम बदलने को गलत ठहराया गया। कहा कि यह यहां की विरासत से खिलवाड़ है। यह भी कहा नाम बदले जाने के कृत्य में शामिल रहने वाले अधिकारी इसके लिए माफी मांगे। चित्रगुप्त मंदिर सभा के अध्यक्ष अनूप श्रीवास्तव, शिवा जी शुक्ला, शाकिर अली सलमानी, दिवेश चंद्र श्रीवास्तव, शक्ति श्रीवास्तव, अरुण श्रीवास्तव, अशोक यादव, वैभव जायसवाल, सती वर्मा आदि शामिल रहे।
प्रियंका गांधी जता चुकी हैं नाराजगी
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी पार्क का नाम बदले जाने का विरोध किया है। दो दिन पहले फेसबुक पोस्ट में प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि - हमारे स्वतंत्रता सेनानी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। गोरखपुर के विंध्यवासिनी प्रसाद वर्मा जी ने चंपारन सत्याग्रह से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन तक गांधी जी के साथ कदम से कदम मिलाकर आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया। आज भाजपा सरकार अपने घमंड में चूर होकर विंध्यवासिनी प्रसाद वर्मा जी के नाम पर बने गोरखपुर स्थित पार्क का नाम बदल रही है। ये स्वतंत्रता सेनानी का अपमान है।
1952 में हुई थी पार्क की स्थापना
पार्क में लगे शिलापट के मुताबिक पार्क की स्थापना 1952 में हुई थी। लगभग 35 एकड़ में फैले इस पार्क में प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग सुबह व शाम टहलते हैं। इसके अलावा यहां पर बड़ी संख्या में लोग योग आदि भी करते हैं। बच्चों में भी यह काफी लोकप्रिय है। यह पार्क वी आकार में होने के साथ ही शहर में ग्रीनरी का सबसे बड़ा एरिया है। इसमें बड़हल, खिरनी, शमी समेत 40 विलुप्तप्राय हो चुके पौधे भी संरक्षित किए गए हैं। लीची व आम के सैकड़ों पेड़ हैं जिससे विभाग को हर साल लाखों रुपये की आमदनी होती है। गुलाब के फूलों की लगभग 30 प्रजातियां इस पार्क में मौजूद है।