आनलाइन के चक्कर में फंसे निजी अस्पताल, नहीं हो सका नवीनीकरण
निजी अस्पतालों के लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन की समय सीमा 30 अप्रैल थी। बावजूद इसके सभी अस्पतालों का पंजीकरण नहीं हो पाया।
By Edited By: Published: Thu, 02 May 2019 05:01 AM (IST)Updated: Thu, 02 May 2019 09:36 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। निजी अस्पताल संचालक आनलाइन व्यवस्था के चक्कर में उलझ कर रह गए हैं। उनको समझ में नहीं आ रहा कि कैसे आनलाइन प्रक्रिया पूरी कर लाइसेंस का नवीनीकरण कराया जाए। बिना आनलाइन आवेदन के अगले वित्तीय वर्ष के लिए अस्पताल का नवीनीकरण नहीं हो सकेगा। सरकार के नए फरमान से बस्ती जिले के निजी नर्सिंग होम संचालक परेशान हैं। आदेश में फायर बिग्रेड से एनओसी और प्रदूषण विभाग से प्राधिकार पत्र की आवश्यकता है। इसके अभाव में आनलाइन आवेदन स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं।
इसमें नर्सिंग होम के साथ ही मेडिकल क्लीनिक, पैथालाजी भी शामिल हैं। 30 अप्रैल तक था नवीनीकरण कराने का आदेश 30 अप्रैल तक नवीनीकरण और पंजीकरण कराने का आदेश था। अधिकतर निजी अस्पताल आनलाइन आवेदन नहीं कर सके। निजी अस्पतालों के चिकित्सकों का कहना है कि नर्सिगं होम या मेडिकल क्लीनिक सभी मानक पर खरे नहीं उतर सकते। बहुत कम ही ऐसे होंगे जो मानक पूरा करते हैं। जिले में हैं 72 निजी अस्पताल सीएमओ कार्यालय से पंजीकरण करा चुके करीब 72 निजी अस्पताल संचालित हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए उन्हें नए सिरे से नवीनीकरण कराना होगा।
पहले जहां आफलाइन की व्यवस्था थी, अब आलनाइन होने से एक भी कागजात कम होने पर सिस्टम आवेदन नहीं उठा रहा। सीएमओ डा. जेएलएम कुशवाहा ने कहा सभी को आनलाइन करना अनिवार्य है, बिना उसके नवीनीकरण संभव नहीं है।
आइएमए ने उठाए सवाल आइएमए अध्यक्ष डा. अनिल श्रीवास्तव व सचिव डा. नवीन कुमार ने कहा सरकार पिछले कई सालों से चिकित्सकों का शोषण कर रही है। जिस अधिनियम के नाम पर निजी चिकित्सक, नर्सिंग होम, मेडिकल क्लीनिक, पैथालाजी लैब, एक्सरे एवं डायग्नोस्टिक सेंटर का नवीनीकरण कराने को कहा जा रहा है, उसमें नवीनीकरण कराने का प्राविधान नहीं है। उसमें सिर्फ आवेदन करने का नियम है।
इसमें नर्सिंग होम के साथ ही मेडिकल क्लीनिक, पैथालाजी भी शामिल हैं। 30 अप्रैल तक था नवीनीकरण कराने का आदेश 30 अप्रैल तक नवीनीकरण और पंजीकरण कराने का आदेश था। अधिकतर निजी अस्पताल आनलाइन आवेदन नहीं कर सके। निजी अस्पतालों के चिकित्सकों का कहना है कि नर्सिगं होम या मेडिकल क्लीनिक सभी मानक पर खरे नहीं उतर सकते। बहुत कम ही ऐसे होंगे जो मानक पूरा करते हैं। जिले में हैं 72 निजी अस्पताल सीएमओ कार्यालय से पंजीकरण करा चुके करीब 72 निजी अस्पताल संचालित हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए उन्हें नए सिरे से नवीनीकरण कराना होगा।
पहले जहां आफलाइन की व्यवस्था थी, अब आलनाइन होने से एक भी कागजात कम होने पर सिस्टम आवेदन नहीं उठा रहा। सीएमओ डा. जेएलएम कुशवाहा ने कहा सभी को आनलाइन करना अनिवार्य है, बिना उसके नवीनीकरण संभव नहीं है।
आइएमए ने उठाए सवाल आइएमए अध्यक्ष डा. अनिल श्रीवास्तव व सचिव डा. नवीन कुमार ने कहा सरकार पिछले कई सालों से चिकित्सकों का शोषण कर रही है। जिस अधिनियम के नाम पर निजी चिकित्सक, नर्सिंग होम, मेडिकल क्लीनिक, पैथालाजी लैब, एक्सरे एवं डायग्नोस्टिक सेंटर का नवीनीकरण कराने को कहा जा रहा है, उसमें नवीनीकरण कराने का प्राविधान नहीं है। उसमें सिर्फ आवेदन करने का नियम है।
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