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Corona effect: फेफड़ों पर संक्रमण के असर पर शोध की तैयारी, ठीक होने के बाद भी सांस फूलने की परेशानी

कोरोना संक्रमण से ठीक हुए तमाम लोग सांस फूलने की समस्या से अभी निजात नहीं पाए हैं। सिटी स्कैन व डिजिटल एक्सरे कराने पर पता चला कि फेफड़ों में सिकुडऩ आ गई है। अब सांस लेने में तकलीफ हो रही है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 07:38 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 07:38 PM (IST)
Corona effect: फेफड़ों पर संक्रमण के असर पर शोध की तैयारी, ठीक होने के बाद भी सांस फूलने की परेशानी
कोरोना संक्रमण से प्रभातिव फेफड़े की प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। फेफड़ों पर कोरोना का असर जाहिर हो चुका है, लेकिन कितने दिन संक्रमित रहने पर व किन परिस्थितियों में कितना असर हुआ है, इसकी पड़ताल बाबा राघवदास (बीआरडी) मेडिकल कालेज में होगी। इस पर शोध की तैयारी चल रही है।

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ठीक होने के बाद भी नहीं जा रही सांस फूलने की दिक्कत

कोरोना संक्रमण से ठीक हुए तमाम लोग सांस फूलने की समस्या से अभी निजात नहीं पाए हैं। सिटी स्कैन व डिजिटल एक्सरे कराने पर पता चला कि फेफड़ों में सिकुडऩ आ गई है। उनका आकार छोटा हो गया है। इस वजह से सांस लेने में तकलीफ हो रही है। अब संक्रमितों का डाटा एकत्र कर गहराई से इस पर शोध किया जाएगा। इसमें टीबी एवं चेस्ट रोग विभाग, माइक्रोबायोलाजी व मेडिसिन विभाग के डाक्टर शामिल होंगे। शोध की रूपरेखा तैयार की जा रही है। विचार-विमर्श के बाद शीघ्र ही एथिकल कमेटी से अनुमति लेने का प्रयास शुरू कर दिया जाएगा।

शोध में शामिल होंगे ये बिंदु

शोध में संबंधित मरीज कितने दिन संक्रमित रहे, कितनी बार रिपोर्ट पाजिटिव आई, संक्रमण के कितने दिन बाद सांस की दिक्कत शुरू हुई, कितने दिन के संक्रमण में फेफड़ों में कितनी सिकुडऩ आई, इलाज कितने दिन बाद शुरू हुआ, कौन-कौन सी दवाएं चलीं, आक्सीजन लेवल कितना था, तकलीफ क्या थी, संक्रमण के पूर्व किन-किन चीजों का सेवन कर रहे थे, कोरोना से बचाव के कौन-कौन से साधन इस्तेमाल कर रहे थे या बिल्कुल नहीं कर रहे थे, एंटीबाडी की क्या स्थिति है और आहार-विहार, नशा, यदि पहले से कोई बीमारी रही हो, उसका भी अध्ययन किया जाएगा।

गहराई से होगी पड़ताल

बीआरडी मेडिकल कालेज में टीबी एवं चेस्ट रोग विभाग के अध्‍यक्ष डा.अश्विनी मिश्रा का कहना है कि कोरोना संक्रमण से कुछ मरीजों के फेफड़ों में सिकुडऩ की समस्या सामने आई है। इसकी गहराई से पड़ताल की तैयारी चल रही है, ताकि पता चल सके कि सिकुडऩ किन परिस्थितियों में आई। इससे बीमारी की रोकथाम के साथ मरीजों को जागरूक किया जा सकेगा।


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