बदल गई गोरखपुर की बिजली व्यवस्था, कम हुआ 'लोकल फाल्ट'
शहर के लिए बिजली निगम ने 24 घंटे में ट्रांसफार्मर बदलने की व्यवस्था बनाई है लेकिन स्थिति यह है कि ट्रांसफार्मर जलने के चंद घंटे के भीतर ही दूसरा ट्रांसफार्मर लगा दिया जाता है। पहले शहर में ट्रांसफार्मर जलने पर दो से तीन दिन बदलने में लग जाते थे।
गोरखपुर, जेएनएन। बीते चार साल में गोरखपुर की दशा और दिशा दोनो बदली है। योगी सरकार के कार्यकाल के साढ़े चार वर्ष में जो सबसे बड़ा बदलाव हुआ है उसमें बिजली की आपूर्ति भी शामिल है। कभी बिजली के इंतजार में पूरी-पूरी रात सड़क और छत पर टहलकर बिताने वाले उपभोक्ता अब संतुष्ट हैं। पारेषण से बिजली की आपूर्ति बाधित नहीं होती।
पहले शहर में ट्रांसफार्मर जलने पर दो से तीन दिन बदलने में लग जाते थे, गांवों में तो हफ्ते-15 दिन
ट्रांसफार्मर बदलने में लगता था लेकिन अब शहर में ट्रांसफार्मर जलने की सूचना मिलते ही महकमा सतर्क हो जाता है। शहर के लिए बिजली निगम ने 24 घंटे में ट्रांसफार्मर बदलने की व्यवस्था बनाई है लेकिन स्थिति यह है कि ट्रांसफार्मर जलने के चंद घंटे के भीतर ही दूसरा ट्रांसफार्मर लगा दिया जाता है। बिजली की आपूर्ति दुरुस्त रखने और बांस-बल्ली हटाकर केबिल और पोल लगाने का काम पूरा होने वाला है। बांस-बल्ली पर गुजरी केबिल जगह-जगह टूटकर गिरने से लगातार हादसे होते रहते थे। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने 11 करोड़ रुपये जारी किए। इस राशि से 45 सौ से ज्यादा पोल लगाकर तार दौड़ाने का काम किया गया।
दो लाख 75 हजार घरों को बिजली का कनेक्शन दिया गया
सौभाग्य योजना के तहत हर गांव और मजरे तक बिजली पहुंचाई गई। दो लाख 75 हजार घरों को बिजली का कनेक्शन दिया गया। इन घरों को दूधिया रोशनी से जगमग करने के लिए नौ लाख 55 हजार 780 एलईडी बल्ब भी दिए गए। भविष्य के गोरखपुर की बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए खोराबार में 100 करोड़ रुपये की लागत से 220 केवी पारेषण उपकेंद्र का निर्माण तेजी से चल रहा है। गोला में 220 केवी का पारेषण उपकेंद्र शुरू हो चुका है। खजनी में 132 केवी पारेषण उपकेंद्र बन रहा है।
जरूरतमंदों को आवास और शौचालय
साढ़े चार सालों में गोरखपुर में पांच लाख 10 हजार से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। शेष पात्र लोगों तक तेजी से योजना का लाभ पहुंचे, इसके लिए 100 दिन में 24 हजार शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। जरूरतमंदों को आवास देने की मुहिम भी युद्धस्तर पर चली। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में 41500 से अधिक आवास बनाए गए। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के तहत 23500 से अधिक आवासों का निर्माण किया गया। वनटांगिया गांवों में 2140 मुख्यमंत्री आवास का निर्माण कर लोगों को छत मुहैया कराई गई।