राजभवन में ऐसा क्या हुआ कि गोरखपुर जेल में बंद कैदी खुशी से झूम उठे Gorakhpur News
मंडलीय कारागार में इस बार आठ एकड़ में आलू की खेती की गई है। आलू की बुवाई के लिए शासन से प्रति एकड़ 2350 रुपये की मदद भी मिली है। बीते वर्ष देवरिया जेल को यहां से 50 क्विंटल आलू दिया गया था।
गोरखपुर, जेएनएन। लखनऊ राजभवन में आयोजित प्रदर्शनी में मंडलीय कारागार गोरखपुर के आलू को प्रथम पुरस्कार मिला है। प्रदर्शनी राज्यपाल के सामने लगाई गई थी। मंडलीय कारागार के आलू आधा-आधा किलो वजन तक के हैं। प्रदर्शनी में आलू की जमकर तारीफ हुई और मंडलीय कारागार की झोली में प्रथम पुरस्कार भी आया।
मंडलीय कारागार सब्जी के लिए पूरी तरह से आत्मनिर्भर
बंदियों के मेहनत की देन है कि मंडलीय कारागार सब्जी के लिए पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो चुकी है। कारागार के 13 एकड़ की भूमि पर बंदी तरह-तरह की सब्जियां उगा रहे हैं। यहां से प्रदेश की दूसरी जेलों को भी सब्जियों की आपूर्ति की जा रही है। मंडलीय कारागार में इस बार आठ एकड़ में आलू की खेती की गई है। आलू की बुवाई के लिए शासन से प्रति एकड़ 2350 रुपये की मदद भी मिली है। बीते वर्ष देवरिया जेल को यहां से 50 क्विंटल आलू दिया गया था। पिछले सीजन में यहां करीब साढ़े पांच सौ क्विंटल आलू पैदा हुआ था।
आधा किलो वजन तक के हैं मंडलीय कारागार के आलू
प्रभारी जेल अधीक्षक प्रेम सागर शुक्ला का कहना है कि लखनऊ में तीन दिवसीय सब्जियों की प्रदर्शनी लगी हुई थी। उसमें मंडलीय कारागार के आलू को प्रथम पुरस्कार मिला है। द रअसल एक-एक आलू का वजन आधा-आधा किलो है। इसके वजन ने वहां पर लोगों में उत्सुकता पैदा कर दी। वहां बताया गया कि आलू इतना वजन का कैसे हो गया। उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार से बंदियों को ऊर्जा मिलेगी। मंडलीय कारागार में बंदियों के सेहत का ध्यान रखते हुए स्वास्थ्य वर्धक व सुपाच्य भोजन के लिए जेल परिसर में सब्जियां बोई जाती हैं। बंदियों की मेहनत की देन है कि यहां साल भर जेल प्रशासन को बाहर से सब्जी खरीदने की आवश्यकता नहीं होती है। अच्छे उत्पादन के लिए शासन शासन से ट्रैक्टर व कृषि संबंधित आधुनिक मशीनों की मांग की गई है। ताकि यहां उत्पादन बढ़ाया जा सके।
जेल में यह सब्जियां उगा रहे कैदी
मंडलीय कारागार में बंदी एक एकड़ में गोभी, एक बिस्से में टमाटर, दो बिस्से में बैगन, पांच बिस्से में ब्रोकली आदि उगाते हैं। जेल के सभी कैदी उक्त सब्जियों को खाते हैं।