दिवाली में डेढ़ गुना बढ़ गया प्रदूषण, सांस लेना हुआ मुश्किल Gorakhpur News
गोरखपुर में दिवाली में आतिशबाजी को लेकर लोगों का उत्साह पर्यावरण के लिए भारी पड़ा। इस उत्साह ने शहर की हवा को दूषित कर दिया।
गोरखपुर, जेएनएन। एक बार फिर दिवाली में आतिशबाजी को लेकर लोगों का उत्साह शहर के पर्यावरण के लिए भारी पड़ा है। इस उत्साह ने शहर की हवा को दूषित कर दिया। आतिशबाजी की वजह से शहर का प्रदूषण का खतरनाक स्तर तक बढ़ गया। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रोफेसर और पर्यावरणविद् डॉ. गोविंद पांडेय के निर्देशन में दिवाली के दिन और उसके बाद वायु व ध्वनि प्रदूषण के जुटाए गए आंकड़े डराने वाले हैं।
150 से 189 पहुंच गई पीएम-10 की मात्रा
आंकड़े जुटाने वाले एमटेक छात्र अमित कुमार चौधरी के मुताबिक दिवाली से पहले और उसके बाद वायु प्रदूषण के आंकड़े में करीब डेढ़ गुना का अंतर पाया गया है। दिवाली के दिन ध्वनि प्रदूषण का स्तर भी डेढ़ गुना बढ़ गया।
प्रो.गोविंद पांडेय ने बताया कि हवा में पर्टिकुलर मैटर-10 (पीएम-10) का स्तर रिहायशी, औद्योगिक और व्यवसायिक इलाकों में 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए लेकिन दिवाली के बाद इसका स्तर डेढ़ गुना ज्यादा हो गया है। पीएम-10 की यह बढ़ोतरी स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है। पीएम-10 सीधे श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। इससे सांस संबंधी रोगियों, बच्चों और बुजुर्गों को काफी परेशानी होती है।
मौसम विशेषज्ञ कैलाश पांडेय ने बताया सेटेलाइट के जरिए लिए गए चित्रों में शनिवार को शहर में पीएम-10 की मात्रा 150 थी जो सोमवार को 189 पहुंच गई।
दिवाली में ऐसे बदला पीएम-10 का आंकड़ा
दिवाली के पहले यानी 26 अक्टूबर को
रिहायशी इलाका (एमएमएमयूटी)- 150.8
औद्योगिक इलाका (गीडा)- 328.1
व्यावसायिक इलाका (गोलघर) - 278.7
दिवाली के बाद 28 अक्टूबर को
रिहायशी इलाका (एमएमएमयूटी)- 199.9
औद्योगिक इलाका (गीडा) - 402.1
व्यवसायिक इलाका (गोलघर) - 317.3
ऐसे बढ़ा ध्वनि प्रदूषण (डेसीबल में)
क्षेत्र 26 अक्टूबर 27 अक्टूबर
शांत क्षेत्र : 72.2 125
आवासीय क्षेत्र : 80.8 119.6
व्यवसायिक क्षेत्र 79.3 111.5
पटाखों से निकलने वाली गैसें बिगाड़ देती हैं पर्यावरण का संतुलन
प्रो.गोविंद पांडेय बताते हैं कि आतिशबाजी के दौरान पटाखों से निकलने वाली गैसें वायुमंडल में पर्यावरण का संतुलन बिगाड़ देती हैं। इससे आक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। पटाखों की वजह से हानिकारक गैसों की मात्रा वायुमंडल में बढ़ जाती है, जो लंबे समय तक बनी रहती है। ऐसे में हमारे स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
खतरनाक स्तर पर प हुंचा स्मॉग
उधर, मौसम विशेषज्ञ कैलाश पांडेय के अध्ययन में जो बातें सामने आई हैं वह चौंकाने वाली हैं। दिवाली की आतिशबाजी से निकले धुएं को जब पुरवा हवाओं की नमी का साथ मिला तो आसमान में स्मॉग की स्थिति बन गई। मंगलवार की सुबह से आसमान में जमे काले बादल दरअसल बादल नहीं, स्मॉग थे। उन्होंने बताया कि मंगलवार को गोरखपुर की न्यूनतम आद्र्रता का प्रतिशत 57 से नीचे न आना, इसकी नमी के बढ़े स्तर की पुष्टि है। ऐसे में दिवाली में जब आतिशबाजी हुई तो उससे निकला धुआं नमी के साथ आसमान में काले बादलों की तरह जम गया। इसकी वजह से सूर्य की किरणें लगभग पूरे दिन अपनी रौ में धरती तक नहीं पहुंच सकीं। मौसम विशेषज्ञ के मुताबिक इस स्मॉग से मुक्ति सूखी पछुआ हवाएं ही दिला सकती हैं। पछुआ हवाओं के चलने से नमी का दायरा सिमटेगा और आसमान में जमे धूल के कण जमीन पर आ जाएंगे। ऐसा होने पर ही गोरखपुर सहित समूचे पूर्वांचल को दिवाली में बढ़े प्रदूषण से राहत मिलेगी।