गोरखपुर विश्वविद्यलय में शोध को लेकर मनमानी चरम पर, जानें-कहां से शुरू हुई गड़बड़ी
गोरखपुर विश्वविद्यालय में इस समय मनमानी अपन चरम पर है। शोध के लिए पर्यवेक्षक नामित करने में सभी मानकों की अनदेखी की जा रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। वरीयता क्रम को दरकिनार कर मनमाने ढंग से शोध पर्यवेक्षक (गाइड) नामित करने पर हुए विवाद के बाद अब गोरखपुर विश्वविद्यालय का राजनीतिशास्त्र विभाग बैकफुट पर आ गया है। कुलपति द्वारा आरोपों बाबत लिखित आख्या तलब किए जाने के बाद विभागाध्यक्ष ने पूर्व घोषित पीएचडी प्रवेश सूची को निरस्त कर दिया है। अब विभागीय शोध समिति (डीआरसी) नए सिरे से गाइड नामित करेगी।
इससे पहले पीड़ित अभ्यर्थी दीपक कुमार के प्रतिवेदन का संज्ञान लेते हुए कुलपति प्रो. वीके सिंह ने विभागाध्यक्ष से जवाब-तलब किया था। कुलपति ने विभागाध्यक्ष से स्पष्ट पूछा था कि वरीयता क्रम में शीर्ष पर होने के बाद भी अभ्यर्थी दीपक यादव के लिए गाइड के रूप में विश्वविद्यालय का शिक्षक क्यों नहीं नामित किया गया? विभागीय शोध समिति को अपने निर्णय के पक्ष में ठोस आधार भी देना था। यही नहीं कुलपति प्रो. वीके सिंह ने किसी छात्र को महज शिक्षकों की निजी नापसंदगी के आधार पर प्रवेश देने से इन्कार करने की घटना पर खासी नाराजगी जाहिर की थी। पूरे प्रकरण को लेकर विभाग पर लगातार सवाल उठ रहे थे। अंतत: कोई विभागाध्यक्ष ने प्रवेश सूची रद करने का ही निर्णय लिया।
यह है मामला
शोध पात्रता परीक्षा के आधार पर तैयार राजनीति विज्ञान विभाग में पीएचडी प्रवेश की जनरल मेरिट सूची में छठवीं रैंक और ओबीसी संवर्ग में दूसरी रैंक होने के बाद भी अभ्यर्थी दीपक यादव के लिए कॉलेज की शिक्षक को गाइड नियुक्त किया गया है। वहीं 60,62,72,88,90 और 146 वीं जैसी नीचे की रैंक के अभ्यर्थियों के लिए विवि परिसर के ही शिक्षक गाइड के रूप में मिले हैं। अभ्यर्थी दीपक यादव नेट उत्तीर्ण भी है जबकि कई ऐसे अभ्यर्थियों को भी विवि परिसर से ही गाइड मिले हैं जिन्होंने नेट उत्तीर्ण नहीं किया है। दीपक यादव ने जब इस दोहरे और मनमानी पूर्ण रवैये पर आपत्ति जताई तो उसे विभागाध्यक्ष ने नियमों की मनमानी व्याख्या करते हुए शांत कराने का प्रयास किया। परेशान अभ्यर्थी ने अब कुलपति से मदद की गुहार लगाई।
10 दिनों में दो विभागों की सूची हुई रद
पिछले 10 दिनों में यह दूसरा विभाग है जहां की पीएचडी प्रवेश सूची रद की गई है। पिछले दिनों आरक्षण नियमों की अवहेलना करते हुए वनस्पति विज्ञान विभाग में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 50 फीसद आरक्षण का प्रावधान लागू कर दिया गया था। विवादों के बाद विभाग ने सूची निरस्त कर दी।
इस संबंध में गोरखपुर विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो. गोपाल प्रसाद का कहना है कि शोध अभ्यर्थियों की प्रकाशित सूची विभागीय शोध समिति के निर्णय की प्रत्याशा में तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गई है। इस संबंध में डीआरसी द्वारा पुन: निर्णय लिया जाएगा।
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