गोरखपुर में वार्डों के परिसीमन में देरी से बढ़ रही पार्षदों की टेंशन, खतरे में है कई पार्षदों का राजनीतिक जीवन
गोरखपुर में नगर निगम के वार्डों का परिसीमन न होने से कई पार्षदों की टेंशन बढ़ रही है। यदि परिसीमन नहीं हुआ तो बहुत से पार्षदों व प्रधानों का राजनीतिक जीवन खतरे में पड़ जाएगा। सबसे बड़ी परेशानी हाल ही में नगर निगम में शामिल हुए गांवों की है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। नगर निकाय चुनाव के लिए परिसीमन में हो रही देर से पार्षदों की टेंशन बढ़ती जा रही है। हालांकि शासन से वार्डों की संख्या बढऩे के संकेत मिल रहे हैं लेकिन यदि वार्ड न बढ़े तो कई पार्षदों की रणनीति फेल हो जाएगी।
नगर निगम में शामिल हुए हैं 32 नए गांव
नगर निगम में 70 वार्ड हैं। शासन ने वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर वार्डों की संख्या तय करने के निर्देश दिए हैं। इस निर्देश से वार्डों की संख्या नहीं बढ़ेगी लेकिन नए शामिल 32 गांवों को वार्डों में शामिल करने से कई का स्वरूप बदलना तय है। कई वार्डों के मोहल्लों को दूसरे वार्डों में जोड़ा जा सकता है। नियमानुसार किसी वार्ड की आबादी में अधिकतम 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है लेकिन गांवों के शामिल होने के बाद कई वार्डों में 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है।
वार्ड बढ़े तो मिलेगी राहत
वर्ष 2011 की जनसंख्या पर परिसीमन की व्यवस्था में बदलाव न कर शासन में प्रति वार्ड नागरिकों की संख्या में कमी का प्रस्ताव तैयार हो रहा है। यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत हो जाएगा तो वार्डों की संख्या बढऩी तय है। ऐसा होने पर नए शामिल इलाकों और बाहरी वार्डों के स्वरूप में ही कुछ बदलाव होगा। इससे चुनाव की तैयारी में जुटे वर्तमान पार्षद और नए उम्मीदवारों को राहत मिलेगी।
तकरीबन 97 हजार बढ़ी है आबादी
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार महानगर की आबादी 6.82 लाख है। जो 32 नए गांव शामिल हुए हैं उनकी आबादी तकरीबन 97 हजार है। यानी गांवों की आबादी मिला दी जाए तो महानगर की आबादी 7.79 लाख हो जाएगी। इस हिसाब से 70 वार्डों में प्रति वार्ड औसत नागरिकों की संख्या एक लाख से ज्यादा होगी।
परिसीमन का कार्य पूरा कर रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। शासन के निर्देश पर प्रक्रिया पूरी की जा रही है। - अविनाश सिंह, नगर आयुक्त।