गोरखपुर में शोध छात्र के आत्महत्या के प्रयास को राजनीति का रंग देने की कोशिश
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शोधार्थी की आत्महत्या की कोशिश के बाद विश्वविद्यालय की राजनीति में उबाल आ गया है।
गोरखपुर, (जेएनएन)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शोधार्थी की आत्महत्या की कोशिश ने दर्शनशास्त्र विभाग में शिक्षकों के बीच चल रही अदावत को खुल कर सामने ला दिया है। शोधार्थी ने एक ओर जहां संकाय अधिष्ठाता प्रो. सीपी श्रीवास्तव और विभागाध्यक्ष प्रो. द्वारिका नाथ पर जातिगत उत्पीडऩ करने का आरोप लगाया है, वहीं दोनों आरोपित शिक्षकों ने पूरे प्रकरण के लिए विभाग के ही शिक्षक प्रो. डीएन यादव को जिम्मेदार बताकर मामले को अलग ही रंग दे दिया है।
अापसी विवाद का भी एंगल
साथियों की मदद से तुरंत इलाज पा जाने से दीपक की हालत भले ही खतरे से बाहर है, लेकिन इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि उसके ठीक हो जाने भर से मामला शांत हो जाएगा। विभागाध्यक्ष और संकायाध्यक्ष ने पूरे प्रकरण को विभाग में पिछले कई वर्ष से चल रही आपसी विवादों से जोड़ कर देखा है और आरोप लगाया है कि दीपक के आत्महत्या का प्रयास प्रो. डीएन यादव द्वारा रची गई साजिश का हिस्सा है। इस बीच चर्चा का एक पक्ष यह भी रहा कि 30 अगस्त को जिस छात्र का शोध पंजीयन हुआ हो, उसके साथ महज 20 दिनों में किस तरह का जातिगत भेदभाव किया गया होगा कि उसे आत्महत्या करने तक को मजबूर हो जाना पड़े।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दो वीडियो
गुरुवार को ज्यों ही यह खबर फैली कि दर्शनशास्त्र विभाग के एक शोधार्थी ने अपने दो शिक्षकों पर जातिगत उत्पीडऩ का आरोप लगा कर आत्महत्या का प्रयास किया है, परिसर में अफरातफरी का माहौल बन गया। चंद घंटे पहले ही मुख्य नियंता ने शोधार्थी दीपक के शिकायती पत्र को आवश्यक कार्रवाई के लिए कैंट पुलिस को भेजा था, कि उसके आत्महत्या के प्रयास की खबर मिली। इस बीच सोशल मीडिया पर दीपक के दो अलग-अलग वीडियो भी तेजी से वायरल होने लगे। एक वीडियो में वह मेडिकल कॉलेज में इलाजरत होते हुए अपने साथ घटी घटनाओं की जानकारी दे रहा था तो दूसरे वीडियो में वह शांत चित्त होकर निराश भाव से खुद के साथ पिछले तीन माह से हो रहे जातिगत उत्पीडऩ की कहानी बयां कर रहा था।
अधिष्ठाता ने लगाया गुमराह करने का आरोप
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. सीपी श्रीवास्तव का कहना है कि दीपक कुमार अपने शोध निर्देशक प्रो. डीएन यादव द्वारा गुमराह किए जा रहे हैं। प्रो. डीएन यादव के पुत्र द्वारा गलत ढंग से ली जा रही फेलोशिप पर मैंने विभागाध्यक्ष के रूप में रोक लगाई थी, यह आरोप उसी का परिणाम है। आवेदन पत्र की तमाम अशुद्धियों के बाद भी मैंने स्वयं ही बीते 30 अगस्त को इस छात्र का शोध पंजीयन कराया है फिर उत्पीडऩ करने का प्रश्न ही नहीं उठाता। यह पूरा प्रकरण विभागीय राजनीति का एक हिस्सा है।
हटाए गए विभागध्यक्ष ने आरोपों को नकारा
हटाए गए विभागाध्यक्ष प्रो. द्वारिका नाथ ने कहा कि दीपक कुमार का आरोप पूरी तरह गलत है, निराधार है। 30 अगस्त को मैंने ही उसके शोध पंजीयन के प्रपत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। यह स्नातक और परास्नातक में भी छात्र रहा है, कभी कोई ऐसी बात नहीं हुई। वास्तव में यह पूरा प्रकरण प्रो. डीएन यादव का रचा हुआ है। प्रो.यादव अपने पुत्र के साथ एक युवती के दुष्कर्म के मामले में सहआरोपित हैं। इस प्रकार के आरोप उसी कड़ी में एक साजिश है।
मेरी कोई भूमिका नहीं : प्रो. डीएन यादव
दीपक कुमार के शोध निर्देशक प्रो. डीएन यादव ने कहा कि एक शिक्षक अपने छात्र को आत्महत्या करने के लिए कैसे कह सकता है? अगर मेरे ऊपर यह आरोप लगाया जा रहा है तो यह निंदनीय है। दीपक कुमार द्वारा आत्महत्या का कदम उठाए जाने की पूरी घटना में मेरी कोई भूमिका नहीं है। यह पूरी तरह एक अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष और शोधार्थी के बीच का प्रकरण है।