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सत्ता के प्रभाव में दफन हो गया अभियंता की हत्या का राज Gorakhpur News

गोरखपुर में अभियंता रामदयाल हत्याकांड की दो बार विवेचना हुई और दोनों ही बार पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाकर मुकदमे की फाइल बंद कर दी तब जबकि हत्या की यह वारदात थाने से चंद कदम की ही दूरी पर ही हुई थी और काफी लोग चश्मदीद थे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 11:55 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 11:55 AM (IST)
सत्ता के प्रभाव में दफन हो गया अभियंता की हत्या का राज  Gorakhpur News
गोरखपुर में अभियंता की हत्या का राज पुलिस नहीं खोल पाई। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर के सहजनवां उपनगर में हुआ अभियंता रामदयाल हत्याकांड पुलिस की नाकामियों की फेहरिस्त में शामिल एक ऐसा सनसनीखेज मामला है जिसकी दो बार विवेचना हुई। दोनों ही बार पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाकर मुकदमे की फाइल बंद कर दी, तब जबकि हत्या की यह वारदात थाने से चंद कदम की ही दूरी पर ही हुई थी और काफी लोग चश्मदीद थे। दरअसल, वारदात की तफ्तीश शुरू हुई तो इसकी आंच में तत्कालीन सरकार के कुछ मंत्रियों और प्रभावशाली हैसियत रखने वाले अधिकारी घिरते नजर आने लगे। बताते हैं उन्हीं को बचाने के लिए सत्ता के प्रभाव में हत्याकांड के राज को पुलिस ने फाइलों में दफन कर दिया। 

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दो बार हुई तफ्तीश, दोनों बार पुलिस ने लगा दी फाइनल रिपोर्ट

घटना चार अप्रैल, 2003 की है। सुबह के छह बजे थे। सूरज की तपिश बढऩे के साथ ही उपनगर में चहल-पहल भी बढऩे लगी थी। तहसील रोड पर घर बनवा कर रह रहे भीटी रावत निवासी सिंचाई विभाग के अभियंता रामदयाल के घर का मुख्य दरवाजा अंदर से बंद था। छह बजते-बजते दो बाइक से चार युवक उनके घर के सामने पहुंचे। गेट के बाहर करीब 10 मिनट तक आसपास के हालात का जायजा लेते रहे। इसके बाद दोनों बाइक पर पीछे बैठे युवक नीचे उतरे और अभियंता के घर के मुख्य दरवाजे पर दस्तक दी। कुछ देर में दरवाजा खुला तो पायजामा और बनियान पहने अभियंता रामदयाल घर से बाहर निकले। दोनों युवकों ने उनका अभिवादन किया और उनसे बातें करते हुए मुख्य दरवाजे से थोड़ी दूर सड़क की तरफ आ गए। बातचीत चल ही रही थी कि दोनों युवकों में से एक ने पिस्टल निकालकर उन पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी। पेट, सिर और सीने में चार गोली लगने से अभियंता की वहीं पर मौत हो गई।

माला पहनाया, सीने पर मिठाई रखी तब भागे बदमाश

सुबह होने के साथ उपनगर की रोजमर्रा की गतिविधियां अभी अपनी गति में आ रही थीं कि गोलियों की तड़तड़ाहट से हर कोई सहम गया। जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक बदमाश फरार हो चुके थे। बाद में चश्मदीदों ने पुलिस को बताया कि अभियंता की हत्या करने के बाद बदमाशों ने मिठाई का डिब्बा उनके सीने पर रखा। इसके बाद उनके गले में फूलों की माला पहनाई। इसके बाद वे फरार हुए। मिठाई और फूलों की माला बरामद भी की थी।

महिला से हत्या के तार जुडऩे के बार ठहर गई थी तफ्तीश

भीटी रावत निवासी रामदयाल के भाई राजेश कुमार की तहरीर पर अज्ञात के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। तत्कालीन आइजी और डीआइजी भी मौके पर पहुंचे थे। अधिकारियों ने बहुत जल्द घटना का पर्दाफाश करने का आश्वासन दिया था, लेकिन हत्याकांड से एक महिला का नाम जुडऩे के बाद मामले की तफ्तीश ठहर गई। तीखे नाक-नक्श, गोरी रंगत और इकहरे बदन वाली लखनऊ की उस महिला की पहुंच सत्ता के गलियारों में बहुत अंदर तक थी। बताते हैं कि महिला के जरिये ही इस सनसनीखेज हत्याकांड के तार तत्कालीन सरकार के मंत्रियों और प्रभावशाली अधिकारियों से जुडऩे लगे थे, इसलिए इस मामले को दफन कर दिया गया।

10 माह में ही पुलिस ने लगा दी फाइनल रिपोर्ट

कई सारे मामले ऐसे हैं, जिनकी विवेचना सालों लंबित रहती है, लेकिन इस सनसनीखेज हत्याकांड में सहजनवां पुलिस ने 10 माह में ही 22 फरवरी, 2004 को फाइन रिपोर्ट लगा दी। अभियंता के परिवार के लोगों को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने फाइनल रिपोर्ट पर आपत्ति जताई। लिहाजा कुछ माह बाद मुकदमे की विवेचना दोबारा शुरू हुई, लेकिन दूसरी बार विवेचना शुरू होने के छह माह के अंदर ही एक अक्टूबर, 2005 को पुलिस ने एक बार फिर फाइनल रिपोर्ट लगाकर मुकदमे की फाइल हमेशा के लिए बंद कर दी। 


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