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गोरखपुर में बिना टेस्ट लिए बन रहे परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस, रोजाना जारी हो रहे 150 से 200 लाइसेंस

गोरखपुर में इस समय परमानेंट ड्राइव‍िंग लाइसेंस जारी करने से पहले टेस्‍ट नहीं ल‍िया जा रहा है। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी दावा करते हैं कि टेस्ट लिया जाता है। लेकिन सवाल यह है कि एक संभागीय निरीक्षक प्रतिदिन कम से कम 150 अभ्यर्थियों का टेस्ट कैसे ले पाएगा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 11:13 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 11:13 AM (IST)
गोरखपुर में बिना टेस्ट लिए बन रहे परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस, रोजाना जारी हो रहे 150 से 200 लाइसेंस
गोरखपुर में परमानेंट ड्राइव‍िंंग लाइसेंस बनवाने के पहले टेस्‍ट नहीं ल‍िया जा रहा है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। आरटीओ दफ्तर के लाइसेंस विभाग में दोपहर 12.30 बजे के आसपास परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले दर्जनों अभ्यर्थी बायोमीट्रिक के लिए लंबी लाइन लगाए थे। कोविड-19 प्रोटोकाल तार-तार हो रहा था। सबको जल्दी थी। टेस्ट हो गया है, इस सवाल पर मलांव के सौरभ ने बताया कि लर्निंग लाइसेंस के लिए कंप्यूटर पर टेस्ट दिया था। पीछे खड़े रवि के माथे पर बल पड़ गए। उसने कहा, अभी और टेस्ट होगा क्या। लेकिन इसके लिए तो किसी नहीं बताया ही नहीं है। हम तो फोटो खिंचवाने के लिए खड़े हैं। थोड़ी दूर खड़े सत्येंद्र ने कहा कि निश्चित रहिए, सुविधा शुल्क जमा करने के बाद कोई टेस्ट नहीं होता। सबका लाइसेंस बन जाएगा।

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दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने वाला विभाग ही टेस्ट की कर रहा अनदेखी, अब खानापूरी भी नहीं

सौरभ और रवि ही नहीं, परिवहन विभाग के कार्यालय में प्रतिदिन सैकड़ों युवाओं का बिना टेस्ट लिए परमानेंट लाइसेंस जारी हो रहा है। या यूं कहें कि बंट रहा है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह तब है जब मार्ग दुर्घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। जिसके अप्रशिक्षित वाहन चालक भी कारण बन रहे हैं। पिछले साल ही प्रदेश में 34243 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। 19149 लोग असमय काल के गाल में समा गए। इसके बाद भी न परिवहन विभाग चेत रहा और न आमजन जागरूक हो रहे। मार्ग दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जनजागरूकता चलाने वाला परिवहन विभाग ही टेस्ट की अनदेखी कर रहा है। जिस दफ्तर में मोटरसाइकिल खड़ी करने के लिए जगह नहीं रहती, वहां भी रोजाना 300 अभ्यर्थियों को टेस्ट के लिए बुलाया जा रहा है।

इसल‍िए हड़बड़ी में हैं अध‍िकारी

इस संक्रमण काल में 150 से 200 लोग पहुंच जाते हैं। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी श्याम लाल दावा करते हैं कि टेस्ट लिया जाता है। लेकिन सवाल यह है कि एक संभागीय निरीक्षक (आरआइ) प्रतिदिन कम से कम 150 अभ्यर्थियों का टेस्ट (वाहनों को चलवाकर देखना) कैसे ले पाएगा। जबकि, लाइसेंस विभाग में कर्मचारियों को छोड़कर एक भी अधिकारी दिखते ही नहीं हैं। जानकार कहते हैं, कोविड काल से पहले तो टेस्ट की खानापूरी भी हो जाती थी। अब यह भी फाइलों में सिमट कर रह गया है। इधर, 15 जून से ट्रैक पर टेस्ट की अनिवार्यता और ड्राइविंग लाइसेंस सिस्टम के ड्राइवर प्रशिक्षण केंद्र (डीटीआइ) चरगांवा स्थानांतरण की सूचना के बाद अधिकारी और तेज हो गए हैं। विभाग अधिक से अधिक लोगों को परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस बांट देना चाह रहा है।

सर्वर डाउन, बायोमीट्रिक के लिए बारिश में भीगते रहे अभ्यर्थी

आरटीओ दफ्तर के लाइसेंस विभाग का कंप्यूटर सर्वर सोमवार को डाउन रहा। सिस्टम धीरे-धीरे कार्य कर रहा था। इसके चलते बायोमीट्रिक कराने के लिए दर्जनों अभ्यर्थी घंटों लाइन में खड़े रहे। अधिकतर बारिश में भीगते रहे। दूर-दराज गांवों से पहुंचे अभ्यर्थियों की बायोमीट्रिक देर शाम तक हुई।

117 आटो चालकों को लगा टीका, आज रोडवेजकर्मियों को लगेगा

संभागीय परिवहन विभाग के कार्यालय में सोमवार को व्यावसायिक वाहन चालकों के लिए टीकाकरण कैंप का शुभारंभ हुआ। आरटीओ अनीता सिंह के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से पहले दिन 117 आटो चालकों को टीका लगा। एआरटीओ श्याम लाल के अनुसार मंगलवार को रोडवेज के चालकों को टीका लगाया जाएगा। टीकाकरण के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है।


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