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अहमद अली भरत तो शाकिर अली माता सीता की निभाते हैं भूमिका

देवरिया के भागलपुर की रामलीला के मंचन में ज्यादातर कलाकार मुस्लिम है। वह रामलीला के प्रत्येक पात्र का जीवंत अभिनय करते हैं।

By Edited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 10:29 AM (IST)Updated: Wed, 10 Oct 2018 10:29 AM (IST)
अहमद अली भरत तो शाकिर अली माता सीता की निभाते हैं भूमिका
अहमद अली भरत तो शाकिर अली माता सीता की निभाते हैं भूमिका
गोरखपुर (जेएनएन)। आए भरत संग सब लोगा, कृस तन श्रीरघुबीर वियोगा। बामदेव वशिष्ठ मुनिनायक, देखे प्रभु महि धरि धुन सायक।। यह चौपाई सुनाते ही अहमद अली रामलीला में खो जाते हैं। मंच पर भरत-मिलाप के दृश्य को जीवंत करने वाले अहमद अली को प्रतिवर्ष इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है। बात सिर्फ अहमद अली की ही नहीं, देवरिया जनपद के भागलपुर गांव के कई ऐसे मुस्लिम परिवार हैं, जिनके घर के सदस्य रामलीला का पात्र बन आज समाज में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहे हैं।
1950 में देवरिया जिले के भागलपुर कस्बा में श्रीराम लीला समिति द्वारा रामलीला का आयोजन किया जाने लगा। उस समय गांव की आबादी कम थी, पात्रों की कमी को देख मुस्लिम समुदाय के लोग इसमें बढ़-चढ़कर आगे गए और रामलीला में अलग-अलग पात्रों की भूमिका निभाने लगे। पहले लालटेन की रोशनी में लीला का मंचन होता था, पात्र खुद घर से साड़ी और धोती लेकर मंचन करने के लिए आते थे।
लोगों का कहना है कि यहां हर साल नवरात्र के पहले ही रामलीला शुरू हो जाती है, इसमें गांव के ¨हदू के साथ ही मुस्लिम समुदाय के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। दशहरा के दिन रावण वध और राज्याभिषेक के साथ ही लीला संपन्न हो जाती है।
भरत का अभिनय करते हैं अहमद अली
रामलीला के पात्र अहमद अली का कहना है कि वह पिछले 25 साल से रामलीला में भरत का रोल करते आ रहे हैं। रामलीला आपसी भाई-चारा और प्रेम का संदेश देता है। इससे भाई का भाई से प्यार, अनुशासन तथा पिता-पुत्र के आदर्श की सीख मिलती है। उनका कहना है कि उनको भरत का रोल बहुत अच्छा लगता है। उन्हें रामलीला की अधिकांश चौपाई याद है। उनके अभिनय को देखने के लिए दूसरे गांवों से भी मुस्लिम व हिंदू परिवार के लोग आते हैं। वह दिन में सब्जी बेचने का कार्य करते हैं तो रात को रामलीला का मंचन करते हैं।
सीता का पांच साल से रोल कर रहे शाकिर
बलिया जनपद के बेल्थरा रोड निवासी शाकिर अली भागलपुर चौराहे पर प्रि¨टग प्रेस चलाते हैं। भागलपुर की रामलीला उनको इतना बेहतर लगी कि वह पांच साल से रामलीला में अपना अभिनय करने लगे। वह हर साल सीता का रोल करते हैं। लगभग 30 वर्ष के शाकिर का कहना है कि उन्हें यह मंचन अच्छा लगता है और उनके अभिनय को हर कोई सराहता है।
शमशाद निभाते हैं लक्ष्मण की पत्नी का किरदार
भागलपुर की रामलीला वास्तव में एक सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है। कस्बा निवासी शमशाद लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला का किरदार निभाने के साथ ही अगर पात्र कम रहते हैं तो दूसरे पात्र की भी भूमिका निभाने से परहेज नहीं करते हैं। उनका कहना है कि उन्हें नवरात्र का इंतजार रहता है। नवरात्र के पहले ही यहां रामलीला की शुरुआत हो जाती है। जबकि गांव के मुहम्मद अली चौधरी मुनी का रोल के अलावा कई तरह का रोल करते हैं।

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