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हड़ताल से परेशान हुए मरीज, आटो व निजी एंबुलेंस से आ रहे इलाज कराने

एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल के चलते मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। सरकारी एंबुलेंस से निश्शुल्क अस्पताल पहुंचने की सुविधा है लेकिन मजबूरी में मरीजों को निजी एंबुलेंस व आटो से बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज जाना पड़ा।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 07:15 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 07:15 PM (IST)
हड़ताल से परेशान हुए मरीज, आटो व निजी एंबुलेंस से आ रहे इलाज कराने
आटो से मेडिकल कालेज पहुंचे सुकरौली के विनोद। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल के चलते मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। सरकारी एंबुलेंस से निश्शुल्क अस्पताल पहुंचने की सुविधा है, लेकिन मजबूरी में मरीजों को निजी एंबुलेंस व आटो से बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज जाना पड़ा। इसके लिए उन्हें 15 सौ से दो हजार रुपये खर्च करने पड़े। पिछले चार दिन से एंबुलेंसकर्मी हड़ताल पर हैं, इसलिए आम नागरिकों को एंबुलेंस की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। 108 नंबर पर एंबुलेंस के लिए मरीजों के स्वजन फोन करते रहे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मर्ज बढ़ता जा रहा था, इसलिए आटो व निजी एंबुलेंस से उन्हें अस्पताल जाना पड़ा।

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दो हजार रुपये में आटो किया बुक

पत्थर काटने का काम करने वाले सिद्धार्थ नगर के बगहवा निवासी 35 वर्षीय पुजारी को जिला अस्पताल सिद्धार्थनगर से रेफर किया गया था। 108 नंबर एंबुलेंस न मिलने उन्होंने दो हजार रुपये में आटो बुक किया और बीआरडी मेडिकल कालेज आए। वहां भी डाक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया। वे मायूस होकर चले गए।

1500 रुपये देकर आटो से गए बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर

कुशीनगर के सुकरौली बाजार निवासी 45 वर्षीय विनोद को सांस लेने में दिक्कत है। एंबुलेंस न मिलने से स्वजन 15 सौ रुपये में आटो बुक कर उन्हें लेकर मेडिकल कालेज पहुंचे। खोराबार के कुईं बाजार निवासी 25 वर्षीय मनोज के गिर जाने से पेट में चोट लग गई थी। स्वजन एंबुलेंस को फोन करते रहे लेकिन फोन उठा ही नहीं। वह दो हजार रुपये में निजी एंबुलेंस बुक कर बीआरडी मेडिकल कालेज पहुंचे, तब इलाज मिल पाया।

मरीज को वापस करने की जानकारी नहीं

बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. गणेश कुमार कहा कि मरीज को वापस करने की जानकारी नहीं है। जिस मर्ज का यहां इलाज हो सकता है, उसके मरीज को वापस नहीं किया जाता है। संभव है कि बीमारी गंभीर रही हो, इसलिए उसे किसी उच्‍च चिकित्सा संस्थान में ले जाने को डाक्टरों ने कहा हो।

मामले का पता करवाता हूं।


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