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गोरखपुर से अब दिल्‍ली नहीं जा रहे यात्री, 54 बसों का संचलन ठप Gorakhpur News

दरअसल बाहर से आने वाले प्रवासियों के चलते गोरखपुर से लोकल रूट की बसों को यात्री तो मिल जा रहे हैं। लेकिन घर पहुंचने के बाद प्रवासी बढ़ते संक्रमण के चलते वापस जाने का नाम नहीं ले रहे। अब स्थिति सामान्य होने के बाद ही जाएंगे।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 01:31 PM (IST)Updated: Sat, 08 May 2021 05:26 PM (IST)
गोरखपुर से अब दिल्‍ली नहीं जा रहे यात्री, 54 बसों का संचलन ठप Gorakhpur News
परिनवहन निगम की बस का फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना ने रेलवे की तरह परिवहन निगम प्रशासन को भी बैकफुट पर खड़ा कर दिया है। सिर्फ देवरिया, बरहज,  रुद्रपुर, तमकुही, पडरौना, महराजगंज, ठुठीबारी और सोनौली रूट की लोकल बसें ही चल रही हैं। गोरखपुर से लखनऊ, वाराणसी, कानपुर और दिल्ली रूट पर चलने वाली लंबी दूरी की बसों को यात्री नहीं मिल रहे। अधिकतर बसें डिपो परिसर में खड़ी हो गई हैं। आमदनी आधे से भी कम हो गई है। जानकारों का कहना है कि गोरखपुर परिक्षेत्र में रोजाना लगभग एक करोड़ की जगह लगभग 35 से 40 लाख रुपये की ही कमाई हो पा रही है। ऐसे में परिवहन निगम प्रशासन ने बसों को परिवहन विभाग (आरटीओ दफ्तर) में सरेंडर करना शुरू कर दिया है। ताकि, रोड टैक्स बचाया जा सके। फिलहाल, निगम प्रशासन ने घाटे का हवाला देते हुए 54 बसों को परिवहन विभाग में सरेंडर कर दिया है। गोरखपुर परिक्षेत्र में कुल 800 बसें संचालित हैं।

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दरअसल, बाहर से आने वाले प्रवासियों के चलते गोरखपुर से लोकल रूट की बसों को यात्री तो मिल जा रहे हैं। लेकिन घर पहुंचने के बाद प्रवासी बढ़ते संक्रमण के चलते वापस जाने का नाम नहीं ले रहे। उनका कहना है कि अब स्थिति सामान्य होने के बाद ही जाएंगे। ऐसे में गोरखपुर से दिल्ली आदि जाने वाली बसों को यात्री नहीं मिल रहे। यही नहीं पंचायत चुनाव के बाद अधिकतर चालक-परिचालक भी संक्रमित हो गए हैं। वे भी ड्यूटी पर नहीं आ रहे। ऐसे में बसों के पहिए लगातार थमते जा रहे हैं। परिवहन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक पीके तिवारी का कहना है कि इधर यात्रियों की संख्या तेजी से कम हुई है। ऐसे में काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। डिपो परिसर में खड़ी बसों का टैक्स न देना पड़े, इसलिए उन्हें सरेंडर किया जा रहा है। स्थिति सामान्य होने और यात्रियों की संख्या बढऩे के बाद ही सरेंडर बसों को रोडवेज के बेड़े में शामिल किया जाएगा।


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