इस बार भी दगा दे गई पडरौना चीनी मिल
इस मिल पर किसानों का 24 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। किसानों को भुगतान भी नहीं हुआ और मिल बंद भी हो गई। किसान परेशान हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। जनप्रतिनिधियों व सरकार की उदासीनता एवं हाईकोर्ट के पेंच में फंसी पडरौना चीनी मिल के चालू होने की संभावना धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही। वर्ष 2014 के चुनावी जनसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने मिल चलवाने का भरोसा दिया था, तो उम्मीद जगी थी कि मिल चालू हो जाएगी। धीरे-धीरे चार साल पूरे हो गए, लेकिन मिल चलवाने की दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया। इससे कर्मचारियों से लेकर किसानों की आस टूटती जा रही। पडरौना चीनी मिल से जुड़े 22400 किसानों की उम्मीदों पर इस साल भी पानी फिर गया। मिल पर किसानों, कर्मचारियों और अन्य का अब तक का कुल बकाया 24 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
छह साल से बंद चल रही मिल
बीआईसी के अधीन पडरौना चीनी मिल वर्ष 1996-98 तक किसानों का करीब साढ़े 12 करोड़ रुपये बाकी लगा कर बंद हो गई थी। वर्ष 2005-06 में जेएचवी ग्रुप ने मिल चलाया जो वर्ष 2011-12 में वह फिर बंद हो गई, तब से बंद चल रही है। मिल बंद होने के कारण गन्ना विभाग ने इस इलाके का गन्ना खड्डा चीनी मिल को 63.35 लाख ¨क्वटल, रामकोला चीनी मिल को 205.65 लाख क्विंटल, कप्तानगंज चीनी मिल को 106.62 लाख क्विंटल, सेवरही चीनी मिल को 160.62 लाख क्विंटल, ढाढ़ा चीनी मिल को 216.18 लाख ¨क्वटल गन्ना आंवटित कर दिया है। वर्ष 2013 में विशेषज्ञों की टीम ने मिल चलवाने के लिए पांच करोड़ रुपये व 90 दिन का समय मांगा था, लेकिन रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने कोई पहल नहीं की। तब से मामला अधर में लटका हुआ है।
टूटने लगी कर्मचारियों की आस
वेतन की आस में दिन काट रहे सुरक्षा गार्ड लालमणि पांडेय कहते हैं कि उम्मीद थी कि मिल चलेगी, लेकिन अधर में लटकी नीलामी की प्रक्रिया ने निराश किया। मजदूर नांगेंद्र पांडेय कहते हैं कि अब भी प्रतिदिन सुबह मिल गेट पर आते हैं कि शायद कोई अच्छी सूचना मिलेगी, लेकिन वीरानी छाई रहती है। मिल के कर्मचारी जगत नारायण दीक्षित कहते हैं कि पीड़ा को कम करने में सरकार नाकाम रही। पीके दत्ता व श्रीमान कहते हैं कि पीएफ तक का पैसा फंसा है। समस्त देयों के भुगतान के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर किया गया है। मुंसरीम व उमाशंकर तिवारी कहते हैं कि मिल के कल-पुर्जे चलाने की हालत में हैं। अगर केंद्र सरकार चाहे तो पहल कर मिल को चालू करा सकती है।
न्यायालय में विचाराधीन है मामला: डीएम
डीएम डॉ अनिल कुमार ¨सह ने कहा कि मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के कारण इसमें कुछ भी नहीं किया जा सकता है। न्यायालय के निर्देश पर मिल की परिसंपत्तियों को नीलाम कर बकाए का भुगतान कराया जाएगा। बिना न्यायालय के आदेश के मिल चालू कराना संभव नहीं है।