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धान खरीद : तराई की चावल से भरेगी कोलकाता की बोरी, अंकित होगा राइस मिलर का नाम

इसमें एक लाख पचहत्तर हजार चार सौ एक क्विंटल धान जिले के 58 मिलरों को डिलीवरी की गई। लेकिन चावल की कुटाई बोरी के अभाव में गति नहीं पकड़ पा रही थी। अब बोरी की उपलब्धता से कुटाई कार्य में तेजी आएगी।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 05:16 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 05:16 PM (IST)
धान खरीद : तराई की चावल से भरेगी कोलकाता की बोरी, अंकित होगा राइस मिलर का नाम
तराई की चावल से भरेगी कोलकाता की बोरी, अंकित होगा राइस मिलर का नाम। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। धान की कुटाई की रफ्तार में महराजगंज में अब बोरी की किल्लत आढ़े नहीं आएगी है। जिले में 10 लाख बोरी कोलकाता से पहुंच गई है। इसे क्रय केंद्रों के माध्यम से राइसमिलों तक भेजने की कवायद शुरू हो गई है। राइस मिलरों द्वारा क्रय केंद्रों से प्राप्त इस बोरी में धान की कुटाई के बाद चावल भरी जाएगी।

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188 क्रय केंद्रों पर हो रही है खरीद

जिले में 188 क्रय केंद्रों पर दो लाख छाछठ हजार छह सौ क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य निर्धारित है। अब तक 81.57 फीसद धान खरीद हुई। मसलन दो लाख सत्रह हजार चार सौ अड़सठ क्विंटल धान की खरीद हुई। इसमें एक लाख पचहत्तर हजार चार सौ एक क्विंटल धान जिले के 58 मिलरों को डिलीवरी की गई। लेकिन चावल की कुटाई बोरी के अभाव में गति नहीं पकड़ पा रही थी।

बोरियों में भरकर भारतीय खाद्य निगम को भेजा जाएगा चावल

अब बोरी की उपलब्धता से कुटाई कार्य में तेजी आएगी। कुटाई के बाद राइसमिलर इन बोरियों में भरी चावल को भारतीय खाद्य निगम के डिपो को चावल भेजेंगे। बोरी पर राइस मिलर का नाम, पता व एजेंसी कोड अंकित रहेगा। इससे जहां पारदर्शिता रहेगी, वहीं एक-एक बोरी का हिसाब रहेगा। किसी बोरी के बाहर होने पर तुरंत पहचान में आ जाएगी।

इन डिपो पर भेजी जाती है चावल

महराजगंज: धान कुटाई के बाद महराजगंज की चावल जिले के परतावल, लोहरपुरवा, जोगियाबारी, बनगढ़िया, गोरखपुर के नकहा, कुशीनगर के अर्जुनहा तथा सिद्वार्थनगर के बर्डपुर डिपो में भेजी जाती हैं।

मंगाई गई हैं जूट की 10 लाख बोरियां

जिला खाद्य विपणन अधिकारी अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि जिले में 10 लाख जूट की बोरी आ गई है। जिसे क्रय केंद्रों के माध्यम से राइस मिलरों को भेजवाई जा रही है। बोरी की उपलब्धता से जहां धान के संप्रदान की रफ्तार में गति आएगी, वहीं किसानों के भुगतान में भी तेजी आएगी।


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