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Gorakhpur Fertilizer Factory: खुद की बिजली से बनी यूरिया, प्रदूषण भी नहीं हुआ

Gorakhpur Fertilizer Factory गोरखपुर खाद कारखाना बिजली के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है। नेचुरल गैस (प्राकृतिक गैस) से बिजली बनाने की प्रक्रिया में निकली गैसों को भाप में बदलकर फिर बिजली बनाने की शुरुआत हो गई है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 01:19 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 08:49 PM (IST)
Gorakhpur Fertilizer Factory: खुद की बिजली से बनी यूरिया, प्रदूषण भी नहीं हुआ
गोखपुर खाद कारखाना खुद की पैदा की गई ब‍िजली से यूर‍िया बना रहा है। - जागरण

गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। हिंदुस्‍तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) का खाद कारखाना बिजली के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है। नेचुरल गैस (प्राकृतिक गैस) से बिजली बनाने की प्रक्रिया में निकली गैसों को भाप में बदलकर फिर बिजली बनाने की शुरुआत हो गई है। जहरीली गैसों को भाप बनाकर फिर बिजली बनाने से कार्बन का उत्सर्जन कम से कम होगा। इससे शहर की आबोहवा में प्रदूषण नहीं बढ़ेगा। खाद कारखाना अपनी जरूरत से ज्यादा 31 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने में सक्षम है।

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बहत कम से कम बिजली पर चल रहा है कारखाना

खाद कारखाना की स्थापना के साथ ही एचयूआरएल प्रबंधन ने बिजली की बचत की योजना बनानी शुरू कर दी थी। विदेश से आयी और देश में निर्मित मशीनों को कम से कम बिजली पर चलाने के लिए तैयार कराया गया है।

प्रति टन 4.8 गीगा कैलोरी ऊर्जा की बचत

खाद कारखाना में प्रति टन यूरिया उत्पादन में 4.8 गीगा कैलोरी विशिष्ट ऊर्जा की खपत होगी। विशिष्ट ऊर्जा खपत किसी भी संयंत्र की समग्र दक्षता का प्रमुख संकेतक है। देश के किसी दूसरे खाद कारखाना में इतनी विशिष्ट ऊर्जा खपत नहीं होती है।

12.5 मेगावाट का है कनेक्शन

खाद कारखाना में मशीनों को चलाने के लिए बिजली का भी कनेक्शन लिया गया है। यहां फर्टिलाइजर पारेषण उपकेंद्र से 12.5 मेगावाट का कनेक्शन लिया गया है। इसके साथ ही आपात स्थिति में मशीनों को बंद होने से बचाने के लिए दो बड़े जेनरेटर भी लगाए गए हैं। खाद कारखाना शुरू होने के बाद दिन-रात चलता रहेगा इसलिए बिजली की व्यवस्था तीन स्तरों पर की गई है।

बड़ा भाप टर्बाइन स्थापित

भाप से बिजली बनाने के लिए खाद कारखाना में बड़ा भाप टर्बाइन संयंत्र स्थापित है। प्राकृतिक गैस से बिजली उत्पादन के बाद जो गैस बचेगी वह सीधे मशीनों के माध्यम से टर्बाइन में पहुंचेगी। यहां गैस को उ'च तापमान पर भाप में बदलकर बिजली का उत्पादन किया जाएगा।


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