आक्सीजन के साथ सुहाग के प्रति प्यार व सम्मान का मौका
पति की दीर्घायु सलामती और सेहत की कामना को लेकर महिलाएं गुरुवार को विधि-विधान से वट सावित्री की पूजा करेंगी। इसको लेकर महिलाओं में खास उत्साह देखा जा रहा है।
सिद्धार्थनगर : पति की दीर्घायु, सलामती और सेहत की कामना को लेकर महिलाएं गुरुवार को विधि-विधान से वट सावित्री की पूजा करेंगी। इसको लेकर महिलाओं में खास उत्साह देखा जा रहा है। महिलाएं तैयारियों में पूरी तरह जुट
गई हैं। कुछ दिनों पूर्व बाजार बंद होने से महिलाएं सुहाग के जोड़े और ऋृंगार की वस्तुओं की आनलाइन खरीदारी भी कर चुकी हैं। महिलाएं निर्जला व्रत रखकर सुहाग की दीर्घ आयु की कामना करेंगी। वट सावित्री पूजा खास मायने रखता है। कोरोना संक्रमण के दौरान आक्सीजन की कमी ने सभी को बरगद के वृक्ष की महत्ता को बता दिया है। बरगद हमें आक्सीजन की पूर्ति करते हैं। कुछ महिलाओं ने इस बार की वट सावित्री पूजा के दिन पर्यावरण संरक्षण के लिए बरगद का पेड़ लगाने के लिए अपने घरवालों को प्रेरित कर रही हैं।
अनुपमा ने कहा कि अपने पहले वट सावित्री व्रत की पूजा को लेकर उत्साहित हूं। यह व्रत अपने सुहाग के प्रति प्यार और सम्मान का मौका होता है। इसका बेसब्री से इंतजार कर रही हूं। पूजा के लिए आवश्यक सामान की खरीद पूरी कर चुकी हूं।
यदुवंती देवी का कहना है कि 55 वर्ष से यह व्रत करती आ रहीं हूं। कोरोना के कारण मन में एक डर बना हुआ है। फिर भी कोविड -19 के प्रोटोकाल का पालन करती हुई हर साल की भांति इस बार भी वह कांशीराम आवास कालोनी में स्थित बरगद के पेड़ के नीचे पूजा कर पति के दीर्घायु की कामना करेंगी।
निहारिका मिश्रा ने बताया कि आमजन बरगद के पेड़ के महत्व से कोरोना संक्रमण काल में भले परिचित हुए हों पर सनातन धर्म में बरगद पेड़ की पूजा आदि काल से चली आ रही है। वट सावित्री पूजा के दिन वह न सिर्फ पेड़ के नीचे पूजा कर अपने सुहाग के सलामती मागेंगी बल्कि बरगद के पेड़ को लगाने व संरक्षण का भी संकल्प लेंगी।
संध्या श्रीवास्तव ने बताया कि वट सावित्री व्रत का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है। पति के लिए दीर्घायु व निरोगी रहने की कामना के साथ मनाया जाता है। यह हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण पेड़ -पौधों के प्रति लगाव व समर्पण को दर्शाता है। वह परिवार की अन्य महिलाओं के साथ बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं।
पूजा में यह लगता है सामान
वट सावित्री व्रत की पूजन सामग्री के लिए व्रतियों को सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां, बांस का पंखा, लाल कलावा, धूप-दीप, घी, फल-फूल, रोली, सुहाग का सामान, पूरियां, बरगद का फल, सिन्दूर, जल से भरा कलश आदि की जरूरत पड़ेगी।