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ध्वस्त होंगे गोरखपुर कलेक्ट्रेट के पुराने भवन, यूपी कैबिनेट ने दी मंजूरी Gorakhpur News

यूपी सरकार ने गोरखपुर कलेक्ट्रेट के पुराने भवनों को ध्वस्त करने की बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी है। स्थानीय स्तर से 2019 में ही इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया था। पुराने भवन के स्थान पर एकीकृत भवन बनाने की योजना है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 11:00 AM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 11:27 AM (IST)
ध्वस्त होंगे गोरखपुर कलेक्ट्रेट के पुराने भवन, यूपी कैबिनेट ने दी मंजूरी Gorakhpur News
गोरखपुर कलेक्‍ट्रेट स्थित कार्यालय जिन्‍हें शीघ्र तौड़ा जाएगा। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन। प्रदेश सरकार ने नया भवन बनाने के लिए गोरखपुर कलेक्ट्रेट के पुराने भवनों को ध्वस्त करने की बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी है। स्थानीय स्तर से 2019 में ही इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया था। पुराने भवन के स्थान पर एकीकृत भवन बनाने की योजना है। इसमें जिलाधिकारी एवं एसएसपी, दोनों के कार्यालय होंगे। जिले के अन्य विभागों के अधिकारी भी इसमें बैठेंगे। भवन में कामकाज पूरी तरह से पेपरलेस करने की योजना है। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद नए भवन के निर्माण की प्रक्रिया तेज हो सकेगी। 

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राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव ने गोरखपुर के कलेक्ट्रेट भवन के ध्वस्तीकरण के लिए पुराने भवनों का निष्प्रयोज्यता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया है। गोरखपुर का कलेक्ट्रेट भवन बहुत पुराना है। इसका निर्माण 1903 के करीब हुआ था। इस भवन के रख-रखाव पर अधिक खर्च आ रहा था, जिसके चलते इसे ध्वस्त करने के लिए कैबिनेट से मंजूरी मांगी गई थी। कैबिनेट ने पुराने भवन के ध्वस्तीकरण की लागत राशि 83.65 करोड़ रुपये को बट्टे खाते में डालने की मंजूरी दे दी है। ध्वस्तीकरण के दौरान निकलने वाली सामग्री के निस्तारण से जो राशि मिलेगी, उसे राजकोष में जमा कराना होगा। पुराने भवन के स्थान पर होने वाले नए निर्माण पर करीब 60 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। इसमें प्रशासनिक भवनों के निर्माण पर 40 करोड़ व पुलिस विभाग के भवन पर 20 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद जीडीए ने रोकी निर्माणों को वैध करने की कार्यवाही

हाईकोर्ट की ओर से नई शमन नीति 2020 पर रोक लगाने के साथ ही गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने अवैध निर्माण को वैध करने के लिए शमन शुल्क जमा कराने की कार्यवाही रोक दी है। इससे प्राधिकरण क्षेत्र में आवासीय एवं वाणिज्यिक भवनों के वैध होने की राह में बाधा उत्पन्न हो गई है। शमन शुल्क के साथ जमा किए गए आवेदन भी फंस गए हैं। शासन से दिशा-निर्देश आने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

जीडीए में 21 जुलाई को नई शमन नीति 2021 लागू हुई थी। आवेदनों के निस्तारण के लिए टाउन प्लानर की अध्यक्षता में विशेष प्रकोष्ठ बनाया गया था। प्राधिकरण ने 2270 लोगों को नोटिस जारी कर शमन कराने को कहा था। करीब तीन हजार भवन मालिकों को भी इस नीति का लाभ लेने के लिए नोटिस दी गई थी। शमन न कराने वाले कई लोगों के आवंटन निरस्त किए गए और कई के निर्माण सील किए गए। अभी तक करीब एक दर्जन लोगों ने मकान वैध कराने के लिए शमन शुल्क के रूप में करीब 30 लाख रुपये जमा किए हैं।

जीडीए उपाध्यक्ष अनुज सिंह का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी होते ही शमन नीति के तहत कार्यवाही रोक दी गई है। शासन की ओर से भी शमन की प्रक्रिया रोकने को कहा गया है। शासन से आदेश आने के बाद आगे निर्णय लिया जाएगा। पुराने भवन के स्थान पर होने वाले नए निर्माण पर करीब 60 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। इसमें प्रशासनिक भवनों के निर्माण पर 40 करोड़ व पुलिस विभाग के भवन पर 20 करोड़ रुपये खर्च होंगे।


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