पीपीआइयूसीडी अपनाने वाली महिलाओं की संख्या चार गुना बढ़ी
जब गर्भवती जांच के लिए आती हैं तो वहीं पर उनकी और उनके स्वजन की काउंसलिंग की जाती है। उन्हें बताया जाता है कि पीपीआइयूसीडी पांच से दस साल के लिए लगती है। आवश्यकता पड़ने पर इसे निकलवाया जा सकता है ।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। परिवार नियोजन के अस्थायी साधन पोस्टपार्टम इंट्रा यूटेराइन कांट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआइयूसीडी) अपनाने वाली महिलाओं की संख्या पांच साल में चार गुना बढ़ गई है। एएनएम व काउंसलर के माध्यम से विभाग ने अभियान चलाकर महिलाओं में फैली भ्रांतियों को दूर कराया तथा इस उपाय के प्रति महिलाओं व उनके स्वजन को राजी किया।
आवश्यकता पड़ने पर निकलवाया जा सकता है पीपीआइयूसीडी
काउंसलर प्रीति बताती हैं कि जब गर्भवती जांच के लिए आती हैं तो वहीं पर उनकी और उनके स्वजन की काउंसलिंग की जाती है। उन्हें बताया जाता है कि पीपीआइयूसीडी पांच से दस साल के लिए लगती है। आवश्यकता पड़ने पर इसे निकलवाया जा सकता है । उन्हें यह भी बताया जाता है कि पानी की थैली यानी झिल्ली फट जाने के 18 घंटे बाद प्रसव की स्थिति में, प्रसव पश्चात बुखार या पेट दर्द होने की स्थिति में, योनि से बदबूदार स्राव या प्रसव पश्चात अत्यधिक रक्तस्राव, किसी प्रकार का संक्रमण और योनि से सफेद पानी आने की स्थिति में यह साधन नहीं अपनाना है ।
लगातार बढ़ रही है महिलाओं की संख्या
उन्होंने बताया कि ज्यादातर महिलाओं के मन में यह भ्रांति होती है कि पीपीआइयूसीडी मांस पकड़ लेती है या फिर शरीर में ऊपर की तरफ बढ़ने लगती है । ऐसी महिलाओं को चित्र के जरिये समझाया जाता है कि ऐसी कोई दिक्कत नहीं होती है, यह सिर्फ भ्रम है। समझाने के बाद महिलाएं व उनके स्वजन के इसके लिए तैयार होते हैं। इस वजह से यह साधन अपनाने वाली महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है।
बढ़ाई गई काउंसलरों की संख्या
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी परिवार कल्याण डा. नंद कुमार ने बताया कि काउंसलर की संख्या भी पांच गुना बढ़ा दी गई है। यहां वर्ष 2017-18 में सिर्फ पांच काउंसलर थे, वर्ष 2021-22 तक इनकी संख्या 24 कर दी गई है। लोगों को परिवार नियोजन के बारे में लगातार जागरूक किया जा रहा है।पीपीआइयूसीडी के आंकड़े
वर्ष लाभार्थियों की संख्या
2017-18 3775
2018-19 6565
2019-20 8150
2020-21 11214
2021-22 (दिसंबर तक) 11652
Edited By Navneet Prakash Tripathi