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North Eastern Railway: अब प्राइवेट अस्पतालों में नहीं हो सकेगा रेलकर्मियों का इलाज Gorakhpur News

निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर रेलवे का अनावश्यक खर्च हो रहा है। रेलवे को जहां नुकसान पहुंच रहा है वहीं दूसरी तरफ संबंधित कर्मियों और निजी अस्पतालों की झोली भर रही है। दरअसल असली वजह यही है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 05:39 PM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 05:39 PM (IST)
North Eastern Railway: अब प्राइवेट अस्पतालों में नहीं हो सकेगा रेलकर्मियों का इलाज Gorakhpur News
रेल कर्मचारियों के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। रेलकर्मियों और उनके परिजनों का इलाज अब निजी अस्पतालों में नहीं हो सकेगा। रेलवे अस्पताल प्रबंधन मरीजों का पहले खुद इलाज करेगा। संसाधनों की अनुपलब्धता पर मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर पहले सरकारी अस्पतालों में रेफर किया जाएगा। वहां भी लाभ नहीं मिला तो प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना से जुड़े निजी अस्पतालों में इलाज का प्रावधान होगा। इसके लिए आयुष्मान योजना से जुड़े निजी अस्पताल रेलवे के पैनल में शामिल किए जाएंगे।

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रेफर केस की आडिट करेगी थर्ड पार्टी

नई व्यवस्था के तहत रेलवे अस्पतालों से रेफर केस की आडिट (लेखा-जोखा की जांच) थर्ड पार्टी करेगी। उपकरणों की खरीदारी व उनके रखरखाव की भी समीक्षा होगी। सेंपलों की जांच के बाद ही दवाइयों की खरीद होगी। रेलमंत्री के 2 नवंबर को आयोजित वीडियो कांफ्रेंसिंग का हवाला देते हुए दक्षिण पश्चिम रेलवे हुबली के प्रधान मुख्य चिकित्सा निदेशक ने इस आशय का पत्र जारी कर दिया है। जानकारों के अनुसार जल्द ही पूर्वोत्तर रेलवे सहित भारतीय रेलवे के सभी जोन में यह सिस्टम लागू हो जाएगा। चिकित्सा विभाग ने अंदर ही अंदर अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। इससे व्यवस्था में पारदर्शिता तो आएगी ही,

नहीं चलेगी अस्पताल प्रबंधन की मनमानी

दरअसल, निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर रेलवे का अनावश्यक खर्च हो रहा है। रेलवे को जहां नुकसान पहुंच रहा वहीं संबंधित कर्मियों और निजी अस्पतालों की झोली भर रही है। यह तब है जब रेलवे बोर्ड खर्चों में कटौती और आय बढ़ाने को लेकर लगातार दबाव बना रहा है। फिलहाल, इस नई व्यवस्था को लेकर कर्मचारी संगठनों में रोष है। पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के महामंत्री एके सिंह कहते हैं कि यह रेलवे कर्मचारियों और उनके परिवारीजनों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। गंभीर बीमारी होने पर कर्मचारियों का निजी अस्पतालों में ही समुचित इलाज हो पाता है। रेलवे और सरकारी अस्पतालों के भरोसे मरीज ठीक नहीं हो पाएंगे।  रेल मंत्रालय का यह निर्णय अमानवीय है।

एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्त कहते हैं कि सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। रेल मंत्रालय अस्पतालों को भी बंद करने की साजिश रच रहा है। यूनियन रेलवे प्रशासन से कैशलेस व्यवस्था जारी रखने की मांग करती है। रेलवे अस्पताल के पैनल में गोरखपुर में 9 निजी अस्पताल शामिल हैं। इसके अलावा मेदांता और दिल्ली के भी कुछ प्राइवेट अस्पताल भी हैं। इन अस्पतालों में रेफर मरीजों का कैशलेस इलाज होता है। रेलवे प्रशासन  निजी अस्पतालों को प्रतिपूर्ति देता है।


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