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आकाशीय बिजली को सहेजने की तैयारी, गोरखपुर और पूणे की टीम कर रही शोध Gorakhpur News

गोरखपुर के एमजीपीजी कालेज व भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान पुणे एक साथ मिलकर आकाशीय बिजली को सहेज कर उसे दैनिक उपयोग में लाने के लिए शोध कर रहे हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 09:54 AM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 03:20 PM (IST)
आकाशीय बिजली को सहेजने की तैयारी, गोरखपुर और पूणे की टीम कर रही शोध Gorakhpur News
आकाशीय बिजली को सहेजने की तैयारी, गोरखपुर और पूणे की टीम कर रही शोध Gorakhpur News

गोरखपुर, प्रभात कुमार पाठक। आकाशीय बिजली को सहेज कर उसे दैनिक उपयोग में लाने की वैज्ञानिकों ने तैयारी शुरू कर दी है। इस पर गोरखपुर के एमजीपीजी कालेज व भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान पुणे एक साथ मिलकर शोध कर रहे हैं। पहले चरण में महाविद्यालय में पुणे के इंजीनियर शोध के लिए 20 लाख का उपकरण लगा चुके हैं। जैसे-जैसे शोध आगे बढ़ेगा अन्य जरूरी उपकरण भी स्थापित किए जाएंगे।

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शीघ्र होगी संयुक्‍त बैठक

दोनों संस्थाओं की संयुक्त रूप से अभी गठित होनी है। टीम गठित होने के साथ ही आकाशीय बिजली को नियंत्रित कर जनोपयोगी बनाने की दिशा में प्रयास शुरू हो जाएगा। जल्द ही दोनों संस्थाओं के प्रमुखों की पुणे में बैठक होगी। जहां शोध में तेजी लाने की दिशा में कार्य किया जाएगा। शोध सफल हुआ तो ऊर्जा संकट से निजात मिल जाएगा।

बादलों के बीच जाकर टीम करेगी सर्वेक्षण

भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान पुणे में इस शोध के लिए एक प्लेन खरीदी गई है। टीम इसी प्लेन से बादलों में छिपी तमाम ऊर्जाओं का स्थान-स्थान पर विभिन्न ऊंचाइयों पर सर्वेक्षण करेगी। शोध से जुड़े सदस्यों का मानना है कि बादलों के बीच अधिक से अधिक विद्युत ऊर्जा पाए जाने की संभावना है। यह सभी ऊर्जा अनियंत्रित हैं, इन्हें नियंत्रित कर जनोपयोगी बनाने की तकनीक की तलाश की जाएगी।

ऊर्जा से भरी होती है आकाशीय बिजली

शोध कर रहे वैज्ञानिकों के अनुसार आकाशीय बिजली मेें काफी ऊर्जा होगी। पृथ्वी पर एक बार गिरने वाली आकाशीय बिजली में इतनी ऊर्जा रहती है कि उससे एक प्रदेश को 24 घंटे आपूर्ति दी जा सकती है।

इस शोध के जरिए इस ऊर्जा को सीधे बादलों से बिना किसी माध्यम के पृथ्वी पर बने हुए विद्युत घर में स्थानांतरित किया जाएगा। इसके लिए तकनीक विकसित किया जाएगा।

आकाशीय ऊर्जा को संरक्षित करने के लिए एमजीपीजी कालेज व भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान पुणे के बीच करार होने के साथ शोध कार्य शुरू हो चुका है। इस शोध के जरिए ओजोन परत में मौजूद ऊर्जा को भी संरक्षित कर जनोपयोगी बनाने की दिशा मेें कार्य किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर पांच करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है। जिसे सरकार वहन करेगी। - डा. एसके श्रीवास्तव, प्राचार्य, एमजीपीजी कालेज, गोरखपुर


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